भारत में फलों का समृद्ध संसार, औषधीय गुणों का खजाना मौजूद

उत्तराखंड के पारंपरिक खानपान में जितने प्रकार और विशिष्टता है, उससे भी ज्यादा यहां के फल-फूलों में विविधता है। उत्तराखंड में जंगली फलों का समृद्ध संसार बसा है। यह फल औषधीय गुणों से भरपूर होते है और इन फलों का जायका भी लाजवाब होता है।

उत्तराखंड के जंगली फलों में बेडू, तिमला, मेलू (मेहल), काफल, अमेस, दाड़ि‍म, करौंदा, बेर, जंगली आंवला, खुबानी, हिंसर, किनगोड़, खैणु, तूंग, खड़ीक, भीमल, आमड़ा, कीमू, गूलर, भमोरा, भिनु सहित 100 से ज्यादा प्रजातियां शामिल हैं। इन जंगली फलों में विटामिन्स और एंटी ऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा में पाई जाती हैं। इनमें से ही कुछ जंगली फलों की खूबियों से हम आपको रूबरू कराने जा रहे है।

काफल 

 काफल में एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों का भंडार होता है इसलिए यह हमारे शरीर के लिए बेहद लाभकारी होता है। यह बेरी जैसा फल होता है जो गुच्छों में आता है और पकने के बाद लाल हो जाता है। यह भूख और मधुमेह की अचूक दवा है। यह कैंसर व स्ट्रोक के होने की आशंका को भी कम करता है। यह उदर-विकारों में अत्यंत लाभकारी होता है।

किनगोड़

किनगोड़ त्वचा रोग, अतिसार, जॉन्डिस, आंखों के संक्रमण, मधुमेह समेत अन्य कई बीमारियों को खत्म करने में लाभकारी पाया जाता है। इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते है। इसमें प्रोटीन 3.3 प्रतिशत, फाइबर 3.12 प्रतिशत, कॉर्बोहाइडे्रट्स 17.39 मिग्रा प्रति सौ ग्राम, विटामिन-सी 6.9 मिग्रा प्रति सौ ग्राम व मैग्नीशयम 8.4 मिग्रा प्रति सौ ग्राम पाया जाता है। इसमें विटामिन-सी प्रचुर मात्रा पाई जाती है।

तिमला –

तिमला में पौष्टिक एवं औषधीय गुणों का भंडार होता है। इसका उपयोग अतिसार, घाव भरने, हैजा व पीलिया जैसी गंभीर बीमारियों की रोकथाम में किया जाता है। यह ग्लूकोज, फ्रुक्टोज व सुक्रोज का भी बेहतर स्रोत माना जाता है। आज के समय तिमले का उपयोग सब्जी, जैम, जैली और फॉर्मास्युटिकल, न्यूट्रास्युटिकल व बेकरी उद्योग में बड़ी मात्रा में हो रहा है।

 

घिंघारू

यह उक्त रक्तचाप और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखता है।  इसकी पत्तियों से निर्मित पदार्थ एंटी सनबर्न का काम करता है और इसकी पत्तियां कई एंटी ऑक्सीडेंट सौंदर्य प्रसाधन और कॉस्मेटिक्स बनाने के उपयोग में लाई जाती है। इसको रक्तवर्द्धक औषधि माना जाता है।

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