यूपी-बिहार उपचुनाव : दिखा शाह के चेहरे पर खौफ, सन्नाटे में भाजपा मुख्यालय

नई दिल्ली। यूपी-बिहार उपचुनाव पर आज सभी की नज़रे गड़ी हुईं हैं। मतों की गिनती का दौर जारी है। जैसे जैसे एक-एक पत्ते खुल रहे हैं वैसे-वैसे सभी दलों की धड़कने भी तेज होती जा रही हैं। आलम यह है कि इस बार भाजपा की आंधी भी कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है। समाजवादी पार्टी अखिलेश की आन को कम नहीं होने दे रही है। यानी भाजपा के जोर पर सपा का दमखम भारी मालूम दे रहा है, लेकिन फाइनल रिपोर्ट आने तक संशय की स्थिति और सभी की आस बरकरार है। लेकिन परिणामों को देखते हुए दिल्ली में बेचैनी का माहौल हो चला है। शीर्ष नेताओं का ढांढस दम तोड़ने की कगार पर है।

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यूपी-बिहार उपचुनाव

इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीजेपी के पिछड़ने के बाद बिना किसी तामझाम के पार्टी मुख्यालय पहुंच गए। उनके चेहरे से हंसी भी गायब थी।

बता दें कि त्रिपुरा चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद पार्टी अध्यक्ष लाव-लश्कर के साथ मुख्यालय पहुंचे थे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां मौजूद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया था। लेकिन, बुधवार (14 मार्च) को जब वह पार्टी मुख्यालय पहुंचे तो ऐसा कुछ नहीं था।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर के साथ ही अररिया लोकसभा सीटों के लिए 11 मार्च को वोट डाले गए थे।

बुधवार (14 मार्च) को मतगणना प्रारंभ हुई। शुरुआती रुझानों के बाद गोरखपुर और फूलपुर में उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और अररिया (बिहार) में राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी ने बढ़त बना ली।

गोरखपुर को भाजपा के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रभावक्षेत्र माना जाता है। वह यहां से लगातार लोकसभा चुनाव जीतते रहे हैं। प्रदेश का सीएम बनने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता त्याग दी थी।

दूसरी तरफ, फूलपुर से वर्ष 2014 में भाजपा प्रत्याशी केशव प्रसाद मौर्य ने रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की थी। उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ऐसे में दोनों सीटों के लिए उपचुनाव कराना अनिवार्य हो गया था।

सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र में केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के पिछड़ने से शीर्ष नेतृत्व में बेचैनी बढ़ गई है। बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर और फूलपुर में कई चुनावी रैलियां की थीं।

वहीं बिहार में भी भाजपा के खाते में खाली एक ही सीट आई है। एक सीट पर राजद ने कब्जेदारी हासिल की बाकी सीटों पर अभी बराबरी का दांव चल रहा है।

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