एक क्लिक में समझें भाजपा का गणित, ऐसे बनेगी कर्नाटक का सिरमौर
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा को शनिवार शाम चार बजे विश्वास मत साबित करने के आदेश के बाद येदियुरप्पा ने कहा है कि उन्हें सदन में विश्वास मत जीतने का पूर्ण विश्वास है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री का बड़ा बयान
येदियुरप्पा ने संवाददाताओं से कहा, “हम सर्वोच्च न्यायालय के शनिवार को सदन में 4 बजे बहुमत साबित करने के आदेश का स्वागत करते हैं. हम अपना बहुमत साबित करने को लेकर आश्वस्त हैं.”
शीर्ष अदालत का सदन में बहुमत साबित करने का आदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के एक दिन बाद आया है.
दलगत स्थिति?
राज्य विधानसभा के 12 मई को 222 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. भाजपा का यह आंकड़ा सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़े 112 से आठ कम है. जेडीएस के 37 और कांग्रेस के 78 विधायक और 3 अन्य जीत कर आए हैं.
बहुमत साबित करने के लिए बीजेपी को अभी भी 8 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. लेकिन जेडीएस के कुमारस्वामी दो सीटों से जीतकर विधायक बने हैं. ऐसे में उन्हें एक सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा. तो फिर 221 सीट के लिहाज से बीजेपी को 111 सीटों की जरूरत पड़ेगी.
कांग्रेस व जनता दल (सेक्युलर) ने चुनाव के बाद गठबंधन बनाया है. विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 78 व जेडीएस को 37 सीटें मिली हैं.
ये है गणित
बीजेपी दावा कर रही है कि उसके पास बहुमत है. ऐसा तभी हो सकता है जब फ्लोर टेस्ट के दौरान कांग्रेस और जेडीएस के कई विधायक गैरहाजिर रह जाएं. ये संख्या भी कम से कम 14 होनी चाहिए. तभी बहुमत 207 सीटों के आधार पर आंका जाएगा लेकिन बीजेपी ये स्थिति कैसे बनाएगी इसपर सबकी नजर होगी.
अटकलों के अनुसार लिंगायत समुदाय से आने वाले कांग्रेस के 7 विधायक गैरहाजिर रह सकते हैं. क्योंकि कर्नाटक में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के बीच पुरानी दुश्मनी है. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं और लगातार लिंगायत मठों के जरिए कांग्रेस के लिंगायत विधायकों को साधने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं कुमारस्वामी वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं.
इसके अलावा बीजेपी की नजर, दो निर्दलीय विधायकों और एक बसपा विधायक पर भी है. हालांकि ये सभी अभी कांग्रेस-जेडीएस के पाले में दिख रहे हैं लेकिन फ्लोर टेस्ट तक इनपर नजर बनाए रखनी होगी.