आज का इतिहास: राजस्थान की राजनीति के वटवृक्ष “भैरोसिंह शेखावत”

भैरोसिंह शेखावत एक सम्मानित भारतीय राजनेता और देश के पुर उप-राष्ट्रपति थे। वह एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने 1952 से राजस्थान के सभी चुनावों में जीत दर्ज की (1972 में विधानसभा चुनाव को छोड़कर)। भारतीय राजनीति में वह दक्ष और परिपक्व नेता के रूप में जाने जाते थे। विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनामरा ने शेखावत को ‘‘ भारत का रॉकफेलर‘‘ कहा था।

आज का इतिहास: राजस्थान की राजनीति के वटवृक्ष "भैरोसिंह शेखावत"

उन्हें पुलिस और अफसरशाही व्यवस्था पर कुशल प्रशासन के लिए जाना जाता है। इसके अलावा भैरों सिंह शेखावत को राजस्थान में औद्योगिक और आर्थिक विकास के पिता के तौर पर भी जाना जाता है। राज्यसभा में उन्हें अतुलनीय प्रशासन और काम-काज के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेताओं से सराहना मिली।

भैरों सिंह शेखावत को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत के सबसे ऊँचे नेता के तौर पर संबोधित किया था।

भैरों सिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर 1923 को राजस्था के सीकर जिले में खचारीवास गांव में हुआ। वह श्री देवी सिंह शेखावत और श्रीमती बन्ने कंवर के पुत्र थे। उन्होंने अपनी स्कूल की शिक्षा पूरी ही की थी कि पिता जी का निधन हो गया जिसके कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सके।

पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई। उन्होंने प्रारंभ में खेती की और बाद में पुलिस में सब-इंस्पेक्टर बन गए। बाद में उनका विवाह सूरज कंवर से करा दिया गया।

भैरों सिंह शेखावत ने 1952 में राजनीति में प्रवेश किया। 1952 से 1972 तक वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ और सहयोगी स्वतंत्र पार्टी बहुमत के नजदीक तो आई लेकिन सरकार नहीं बना सकी। 1974 से 1977 तक उन्होंने राज्यसभा सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। 1977 से 2002 वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे।

1977 में 200 में से 151 सीटों पर कब्जा करके उनकी पार्टी ने चुनाव में जीत दर्ज की और वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 1980 तक अपनी सेवाएं दीं। 1980 में भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के विघटन के बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए और 1990 तक नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई। 1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी के शासनकाल में बीजेपी चुनाव हार गई।

इसके बाद 1989 के चुनाव में बीजेपी-जनता दल गठबंधन ने लोकसभा में 25 सीटें जीतीं और राजस्थान विधानसभा चुनाव में 140 सीटों पर कब्जा किया। 1990 में भैरों सिंह शेखावत फिर से राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और 1992 तक पद पर बने रहे। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने अगले चुनाव में 99 सीटें जीतीं। इस प्रकार स्वतंत्र समर्थकों के सहयोग से वह सरकार बनाने में सक्षम हो गए लेकिन कांग्रेस इसके विरोध में थी।

1993 में लगातार तीसरी बार वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और पांच साल तक रहे। 1998 में वह प्याज की बढ़ती कीमतों जैसे मुद्दों के कारण चुनाव हार गए। इसके बाद 1999 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की।

आज का इतिहास 

23 अक्टूबर की महत्वपूर्ण घटनाएँ 

मीर कासिम बक्सर की लड़ाई में 1764 को पराजित हुआ।

महिलाओं के अधिकारों को लेकर पहली बार अमेरिका में नेशनल वुमेन राइट कॉनवोकेशन 1850 में शुरू हुआ।

नासा के मार्स ओडिसी अंतरिक्ष यान ने 2001 में मंगल ग्रह की परिक्रमा शुरू की।

 

एप्पल ने 2001 में आईपॉड बाज़ार में उतारा

30 से 35 परमाणु बम होने की पुष्टि 2003 में की।

माओवादी हिंसा ने 2003 में नेपाल के पूर्व मंत्री का आवास बम से उड़ाया।

 

भारत और बुल्गारिया ने प्रत्यर्पण संधि पर 2003 में हस्ताक्षर किये।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को ईरान ने 2003 में अपनी परमाणु रिपोर्ट सौंपी।

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नया कम्पनी विधेयक 2008 को लोकसभा में पेश हुआ।

तुर्की के पूर्वी वान क्षेत्र में 2011 को आए 7.2 की तीव्रता वाले भूकंप में अब तक 264 लोग मारे गए तथा 1300 लोग घायल हो गए।

आज जन्मे व्यक्ति 

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के समान स्वतंत्रता सेनानी और कर्नाटक की वीरांगना रानी चेन्नम्मा का जन्म 1778 में हुआ।

सन 1908 में मैसूर के महाराजा के सहायक सचिव मिर्ज़ा इस्माइल का जन्म 1883 में हुआ।

श्रमिक नेता खंडू भाई देसाई का जन्म 1898 में हुआ।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री व भारत के उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत का जन्म 1923 में हुआ।

हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध हास्य अभिनेता देवेन वर्मा का जन्म 1937 में हुआ।

एक भारतीय उद्योगपति, समाज सेवी और भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम कंपनी एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल का जन्म 1957 में हुआ।

23 अक्टूबर को हुए निधन 

  • प्रसिद्ध कवि तुलसीदास का निधन 1623 में हुआ।
  • फ़्रांस के विख्यात कवि और लेखक टेनोफेल गोएटे का निधन 1872 में हुआ।
  • परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैनिक सूबेदार जोगिन्दर सिंह का निधन 1962 में हुआ।
  • प्रसिद्ध महिला क्रांतिकारी नेली सेनगुप्ता का निधन 1973 में हुआ।
  • ‘काशी’ (वर्तमान बनारस) के प्रसिद्ध साहित्यकार भोलाशंकर व्यास का निधन 2005 में हुआ।
  • लोकप्रिय संगीतकार, गायक और संस्कृतिकर्मी भूपेन हज़ारिका का लंबी बीमारी के बाद 2011 में निधन हो गया है।
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