देश की आन-बान-शान तिरंगे का गलती से ना हो अपमान, जान लीजिए ये नियम

गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व है, जो हर साल सारे देशवासी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया था. सभी देशवासियों के लिए यह गर्व का मौका होता है. लेकिन क्या आपको तिरंगे को फहराने का सही तरीका पता है. अगर नहीं तो जान लीजिए. जैसा कि सभी को पता है कि राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से बना है, इसलिए इसे तिरंगा कहा जाता है.

तिरंगा

तिरंगा फहराने के नियम

देश की आन बान और शान तिरंगे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जा सकता है.

झंडे पर किसी तरह के अक्षर नहीं लिखे जाएंगे.

सूर्य निकलने और अस्त होने के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता है.

झंडा हाथ से काते और बुने गए ऊनी, सूती, सिल्क या खादी से बना होना चाहिए.

साथ ही झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए. इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए.

केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके झंडा लगाया या फहराया नहीं जा सकता.

तिरंगे को जहां भी फहराया जाता है उसे ऊंचाई पर रखा जाता है.

झंडा फहराने के बाद खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है.

झंडे का कमर्शल इस्तेमाल नहीं कर सकते. किसी को सलामी देने के लिए झंडे को झुकाया नहीं जाएगा. अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसका वस्त्र बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अलावा) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे का अपमान माना जाएगा.

फटा या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए. झंडा फट जाए, मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से पूरी तरह नष्ट कर दिया जाए.

 

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