घरेलू स्वास्थ्य सेवाओं का बदलेगा समय, हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया कर रहा प्रयास

नई दिल्ली| संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग के अनुमानों के अनुसार, भारत में 2010 में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या आठ फीसदी थी जो वर्ष 2050 तक बढ़कर 19 प्रतिशत हो जाएगी। वर्ष 2050 तक भारत में 30 करोड़ से अधिक लोगों की उम्र 60 वर्ष से अधिक होने की उम्मीद है।

स्वास्थ्य सेवाएं

ऐसे में, बुजुर्गो को सेहतमंद रखने के लिए घरेलू स्वास्थ्य सेवाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। आगे बढ़ते भारतीय होम हेल्थकेयर को अगले दशक के लिए मुख्य बाधा के रूप में मानते हुए हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (नैटहेल्थ) ने सिफारिश की है कि सरकार को विनियमन और गुणवत्ता से संबंधित एक पारदर्शी नीतिगत ढांचा स्थापित करने की जरूरत है।

नैटहेल्थ के अनुसार, इस क्षेत्र में बीमा की उपलब्धता एक ‘गेम चेंजर’ हो सकती है। देश में स्वास्थ्य बीमा का प्रसार बहुत कम है और होम केयर अभी भी इससे बाहर है। रोगी को पूरा समर्थन देने के लिए, स्वास्थ्य बीमा और होम हेल्थकेयर को अपनाने की जरूरत है।

नैटहेल्थ के महासचिव अंजन बोस ने कहा, “होम हेल्थकेयर अगले दशक में सबसे व्यापक ट्रेंड होगा। इस क्षेत्र में काम करने के लिए कुशल नर्स और अन्य संबंधित स्वास्थ्य पेशेवरों को ढूंढना बड़ी चुनौती है।”
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बोस ने आगे कहा, “अब सरकार का मुख्य फोकस आयुष्मान भारत मिशन के तहत स्वास्थ्य बीमा पर है, इसलिए तेजी से बढ़ने और कवरेज के दायरे को बढ़ाने के लिए इस मौके पर पूंजीकरण करने के लिए बीमाकर्ताओं के लिए यह उचित समय है।”

यह क्षेत्र हेल्थकेयर एग्रीगेटर्स, डॉक्टर डिस्कवरी प्लेटफॉर्मों और होम हेल्थकेयर सेवाओं की पेशकश करने वाले स्टार्ट-अप से भरा हुआ है। कई कंपनियों ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू, हैदराबाद और अन्य छोटे शहरों सहित प्रमुख भारतीय शहरों में होम हेल्थकेयर सेवाओं की स्थापना की है।

होमकेयर सेवाएं मुख्य रूप से बुजुर्गो की देखभाल, कीमोथेरेपी, पुनर्वास, फिजियोथेरेपी और डायलिसिस की मांग पर सेवाएं देती हैं। वर्तमान में भारतीय होम हेल्थकेयर कंपनियां बुजुर्गो की देखभाल, पुनर्वास और मधुमेह प्रबंधन पर केंद्रित हैं।

भारत में होम हेल्थकेयर का बाजार वर्ष 2016 में 3.2 अरब अमेरिकी डॉलर से 2020 तक 6.2 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। वर्ष 2018 में इसके 4.46 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

भारत में बुढ़ापे में 50 प्रतिशत मौतें पुरानी बीमारियों के कारण होती हैं। हालांकि, इस क्षेत्र को आगे ले जाने के लिए भारत में पर्याप्त स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और नीतिगत ढांचे की जरूरत है।

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