सोपा का दावा, बांग्लादेश के रास्ते आया 50 हजार टन खाद्य तेल बनेगा भारतीय किसानों का सिरदर्द

नई दिल्ली| सरकार द्वारा देश में खाद्य तेल पर आयात शुल्क बढ़ाए जाने के बाद तेल आयातकों ने बांग्लादेश के रास्ते खाद्य तेल का शुल्क मुक्त आयात करना शुरू कर दिया है। सोयाबीन प्रासेर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डी.एन. पाठक के मुताबिक, आयात शुल्क में वृद्धि के बाद बांग्लादेश के रास्ते अब तक करीब 50,000 टन सोयाबीन और पाम तेल का आयात हो चुका है।

सोयाबीन का तेल

दरअसल, दक्षिण एशिया शुल्क मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) का सदस्य होने के कारण बांग्लादेश से भारत में आयात पर कोई शुल्क नहीं लगता है।

डी.एन. पाठक ने रविवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इसी का फायदा उठाकर आयातकों ने बांग्लादेश के रास्ते खाद्य तेल का शुल्क मुक्त आयात करने का उपाय ढूंढ लिया है, जिसका असर घरेलू तेल उद्योग और तिलहन उत्पादक किसानों पर होगा।”

उन्होंने बताया, “अब तक तकरीबन 50,000 टन सोयाबीन और पाम तेल का आयात बांग्लादेश के रास्ते हो चुका है और भारी मात्रा में आयात के सौदे भी हुए हैं।”

पाठक ने कहा कि अगर यह सिलसिला जारी रहा तो किसानों को तिलहनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाना मुश्किल होगा।

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उन्होंने कहा, “तेल पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला सरकार ने किसानों को तिलहनों का वाजिब दाम दिलाने के मकसद से लिया था, अब अगर शुल्क मुक्त आयात इस तरह से होता रहा तो किसानों को एमएसपी दिलाना मुश्किल होगा और इससे सरकार पर बोझ पड़ेगा, क्योंकि सरकार को किसानों से फसल खरीदनी होगी या उन्हें भावांतर के जरिए भुगतान करनी होगी।”

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के रास्ते आयात होने से पाम तेल 24 रुपये प्रति किलो और सोयाबीन तेल 11 रुपये प्रति किलो सस्ता हो जाता है।

पाठक ने बताया, “अर्जेटीना से करीब 700 डॉलर प्रति टन पर बांग्लादेश में क्रूड सोया तेल का आयात हो रहा है और इसको रिफाइन करने में वहां करीब 50 डॉलर खर्च होता है। वहां से 930 डॉलर में रिफाइंड सोया तेल भारत आ रहा है।”

सोपा ने पिछले सप्ताह केंद्रीय वित्तमंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र लिखकर बांग्लादेश के रास्ते खाद्य तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

सोपा ने अपने पत्र में कहा, “बांग्लादेश से 930 डॉलर प्रति टन पर सोया तेल आ रहा है जोकि भारतीय मुद्रा में करीब 63,742 रुपये प्रति टन होता है, जबकि इंदौर में इस समय सोयाबीन तेल का दाम करीब 74,500 रुपये प्रति टन है। बांग्लादेश के रास्ते आने वाला सोयाबीन तेल 11,000 रुपये प्रति टन सस्ता हो जाता है।”

सोपा ने कहा कि इससे सरकार के खजाने को भी भारी नुकसान हो रहा है। सोपा के अध्यक्ष दावीश जैन ने अपने पत्र में वित्तमंत्री से आग्रह करते हुए कहा, “हम एलडीसी के तहत आने वाले देशों से सिर्फ उन खाद्य तेलों के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं जिसका उत्पादन दूसरे निर्यातक देशों में होता है और शुल्क मुक्त होने वाले आयातों पर उत्पादक देशों के नियमों का सख्ती से पालन होना चाहिए। इस प्रकार के आयात से किसानों और उद्योग को भारी नुकसान हो रहा है।”

सरकार ने जून में सोया तेल समेत कुछ तेल पर आयात शुल्क पांच से 10 फीसदी बढ़ा दिया था। वर्तमान में सोयाबीन क्रूड तेल पर आयात शुल्क 35 फीसदी और 10 फीसदी उपकर समेत 38.5 फीसदी शुल्क लगता है। वहीं रिफाइंड सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क 45 फीसदी और 10 फीसदी उपकर मिलाकर 49.5 फीसदी शुल्क लगता है।

रिफाइंड पाम तेल पर उपकर समेत शुल्क 59.4 फीसदी और क्रूड पाम तेल पर 48.4 फीसदी शुल्क लगता है।

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सरकार ने सोयबीन का एमएसपी फसल वर्ष 2018-19 के लिए 3399 रुपये प्रति क्विं टल तय किया है। इससे पहले 2017-18 में सोयाबीन का एमएसपी 3050 रुपये प्रतिक्विं टल था।

किसानों ने फसल का अच्छा दाम मिलने की उम्मीद में सोयाबीन की खेती में काफी दिलचस्पी दिखाई है और बीते सप्ताह के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में सोयाबीन का रकबा पिछले साल के मुकाबले 10.62 फीसदी बढ़कर 109 लाख हेक्टेयर हो गया है।

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