थायरॉइड भी पहुंचा सकता है मौत के कगार पर, बरते ये सावधानियां

थायरॉइड के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। अगर आपके शरीर में आयोडीन की कमी है तो आपका मोटापा लगातार बढ़ता जाएगा। यह बीमारी रोगी को कई तरह से प्रभावित करती है। थायरॉइड भी दो तरह के होते हैं। एक प्रकार के थॉयराइड में व्यक्ति मोटा होता जाता है तो वहीं दूसरे तरह के थायरॉइड में पतला होता जाता है। यह बीमारी जितनी सिमपल दिखती है असल में उतनी ही खतरनाक होती है। इस बीमारी के चलते मरीज को हार्ट अटैक और ब्रेन डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। थायरॉइड हमारे सबके गले में मौजूद एक अंग होता है। जो थायरॉक्सिन हार्मोन का निर्माण करता है। इसी हार्मोन के कम ज्यादा होने से शरीर में थायरॉइड की समस्या हो जाती है।

थायरॉइड

दिल और दिमाग की बीमारियों का खतरा

इस समस्या का अगर समय पर इलाज ना कराया जाए तो इससे और भी खतरनाक समस्या हो सकती हैं। गर्भवती महिला के लिए इस समस्या से छुटकारा पाना तो और भी आवश्यक हो जाता है। क्योंकि गर्भवती के लिए इस समस्या का इलाज ना कराया गया जो उसको और भी कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। गर्भवती को अगर यह समस्या अपना शिकार बना लेती है तो उसे गर्भपात का भी खतरा उतना ही बढ़ जाता है। कई बार देखा गया है कि थायरॉइड की समस्या बढ़ने पर ब्रेन डैमेज होने का भी खतरा बढ़ जाता है।

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आयोडीन

आमतौर पर ज्यादातर लोग यही जानते हैं कि आयोडीन की कमी से थायरॉइड रोग होता है। मगर आपको बता दें कि आयोडीन के ज्यादा सेवन से भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा हॉर्मोन युक्त दवाओं के सेवन से भी हायपरथायरॉइडिज्म हो सकता है। इसके लक्षण हैं ज्यादा पसीना आना, थायरॉइड ग्लैंड का आकार बढ़ जाना, हार्ट रेट बढ़ना, आंखों के आसपास सूजन, बाल पतले होना, त्वचा मुलायम होना। लेकिन ऐसे मामले कम पाए जाते हैं।

जीवनशैली में बदलाव से बचाव संभव

डॉक्टर इन बीमारियों से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाने की सलाह देते हैं, खासतौर पर उन लोगों को ये बदलाव लाने चाहिए जिनके परिवार में इस बीमारी का इतिहास है। इसमें नियमित जांच, खूब पानी पीने, संतुलिस आहार, नियमित रूप से व्यायाम, धूम्रपान या शराब का सेवन नहीं करने और अपने आप दवा नहीं लेने जैसे सुझाव शामिल हैं।

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हायपोथायरॉइडिज्म

हायपोथायरॉइडिज्म, थायरॉइड ग्लैंड से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसका इलाज न किए जाने पर यह गॉयटर (घेंघा) का रूप ले सकता है। घेंघा के कारण गर्दन में सूजन आ जाती है। इसके अलावा हायपोथायरॉइडिज्म के कारण आथरोस्क्लेरोसिस, स्ट्रोक, कॉलेस्ट्रॉल बढ़ना, बांझपन, कमजोरी आदि का भी खतरा होता है।
हाइपरथॉयराइडिज्म में जब थायरॉइड ज्यादा सक्रिय होता है तो ग्लैंड से हॉर्मोन ज्यादा बनता है, जो ग्रेव्स डीजीज या ट्यूमर तक का कारण बन सकता है। ग्रेव्स डीजीज में मरीज में एंटीबॉडी बनने लगते हैं जिससे थायरॉइड ग्लैंड ज्यादा हॉर्मोन बनाने लगती है।

 

 

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