
कर्नाटक के एक शहर सिरसी में शलमाला नामक नदी बहती है। यह नदी अपने आप में खास है क्योंकि इस नदी में एक साथ हजारों शिवलिंग बने हुए हैं। ये सभी शिवलिंग नदी की चट्टानों पर स्थापित हैं। यहां की चट्टानों में शिवलिंगो के साथ-साथ नंदी, सांप आदि भगवान शिव के प्रियजनों की भी आकृतियां भी बनी हुई हैं। हजारों शिवलिंग एक साथ होने की वजह से इस स्थान का नाम सहस्त्रलिंग पड़ा।
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मान्यताओं के अनुसार, 16वीं सदी में सदाशिवाराय नाम के एक राजा थे। वे भगवान शिव के बड़े भक्त थे और हमेशा शिव की भक्ति में डूबे रहते थे। शिव भक्ति में डूबे रहने की वजह से वे भगवान शिव की अद्भुत रचना का निर्माण करवाना चाहते थे।
इसलिए राजा सदाशिवाराय ने शलमाला नदी के बीच में भगवान शिव और उनके प्रियजनों की हजारों आकृतियां बनवा दीं। नदी के बीच में स्थित होने की वजह से सभी शिवलिंगों का अभिषेक और कोई नहीं बल्कि खुद शलमाला नदी करती हैं।
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वैसे तो इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए यहां पर रोज ही अनेक भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन विशेष तौर पर शिवरात्रि व श्रावण के सोमवार पर यहां भक्त भारी तादात में आते हैं। यहां पर आकर भक्त एक साथ हजारों शिवलिंगों के दर्शन और अभिषेक का लाभ उठाते हैं। यहां जाने के लिए नवंबर से मार्च का समय सबसे ज्यादा सुलभ माना जाता हैं।
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