केरल के तिरुवनंतपुरम का मंदिर पद्मनाभ स्वामी मंदिर दुनिया के रहस्यमय जगहों में शुमार है। यह एक ऐसा मंदिर है जिसका रहस्य आज तक कोई जान नहीं पाया है। इस मंदिर में सात दरवाजे हैं। इस सातवें दरवाजे का रहस्य आज तक कोई जान नहीं पाया है। आइये जानते हैं कि इस सातवें दरवाजे का क्या रहस्य है।
इस मंदिर का निर्माण त्रावणकोर के राजा ने 6वीं शताब्दी में करवाया था। सन 1750 में महारज मार्तंड वर्मा ने भगवान की सेवा कर खुद को ‘पद्मनाभ दास’ बताया। इसके बाद से ही परिवार ने इस रहस्यमय मंदिर की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली।
इस मंदिर में 7 तहखाने हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी खोले गए थे, जिसमें एक लाख करोड़ रुपये के हीरे और जूलरी निकली थी। इसके बाद जैसे ही टीम ने वॉल्ट-बी यानी की सातवां दरवाजे के खोलने की शुरुआत की, तो दरवाजे पर बने कोबरा सांप के चित्र को देखकर काम रोक दिया गया। कई लोगों की मान्यता थी कि इस दरवाजे को खोलना अशुभ होगा।
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मान्यताओं के अनुसार, त्रावणकोर के महाराज ने बेशकीमती खजाने को इस मंदिर के तहखाने और मोटी दीवारों के पीछे छुपाया था। जिसके बाद हजारों सालों तक किसी ने इन दरवाजे को खोलने की हिमाकत नहीं की है और इस तरह से बाद में इसे शापित माना जाने लगा। कथाओं के अनुसार, एक बार खजाने की खोज करते हुए किसी ने 7वें दरवाजे को खोलने की कोशिश की, लेकिन कहते हैं कि जहरीले सांपों के काटने से सबकी मौत हो गई।
माना जाता है कि यह दुनिया का सबसे धन वाला मंदिर है इस मंदिर में ही सबसे ज्यादा धन प्राप्त किया जाता है। मान्यता है जिस दरवाजे के पीछे खजाना रखा हुआ है उसे खोलने के लिए केवल मंत्रों का सहारा लेना पड़ता है। मान्यता है कि अगर इस मंदिर को बिना इन मंत्रों के खोला गया तो भारी नुकसान होगा साथ ही प्रलय भी आ सकती है।
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इस दरवाजे पर दो सांप बने हैं जो इस दरवाजे की रक्षा करते हैं। इस मंदिर के दरवाजे को केवल ‘नाग बंधम’ या ‘नाग पाशम’ मंत्रों का प्रयोग करके ही खोला जा सकता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दरवाजे को खोलने के लिए मंत्र तो बना है लेकिन अगर इन मंत्रों के उच्चारण में कोई भूल हो गई तो मृत्यु तो निश्चित मानी जाती है। आज तक इस मंदिर की इस गुत्थी को कोई सुलजा नहीं पाया है।