देश का निराला गांव जहां शादी के बाद दुल्हन नहीं, दूल्हा आता है विदा होकर

देश में काफी पुरानी पंरपरा को माना जाता है, जहां शादी के बाद दुल्हन विदा होकर दूल्हे के घर आती है। लेकिन देश में एक ऐसा अनोखा गांव है, जहां पर दूल्हा विदा होकर आता है। यह गांव माउट आबू से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी में है। राजस्थान के सबसे ऊंचे हिल स्टेशन माउंट आबू में बसे एक छोटे से गांव जवाई में वर्षों से एक अनोखी परंपरा चली आ रही है।

इस परंपरा के मुताबिक, शादी के बाद दुल्हन विदा नहीं होती बल्कि दूल्हा विदा होकर लड़की के घर आता है। यानी शादी के बाद दामाद हमेशा के लिए ससुराल में बस जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जवाई में लड़कियों की संख्या ज्यादा थी, उनकी शादी के लिए रिश्ता करना काफी मुश्किल हो जाता था। इसलिए यहां शादी के बाद लड़कियों की विदाई नहीं करने की परंपरा शुरु हुई। इस गांव में घर के दामाद को ससुराल में हमेशा के लिए बसाया जाने लगा।

दीपावली के बाद अब देवउठनी ग्यारस आने वाली है, जिसके बाद से शादियों का सीजन शुरु हो जाएगा। प्राचीन काल से चली आ रही यह प्रथा के मुताबिक, शादियों में दुल्हन की विदाई होती थी लेकिन राजस्थान में एक ऐसा अनोखा गांव है जहां दुल्हन की विदाई नहीं होती बल्कि दूल्हा विदा होकर आता है। इसलिए इस अनोखे गांव का नाम जवाई रख दिया गया है। यह गांव माउट आबू से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी में बसा हुआ है।

राजस्थान के सबसे ऊंचे हिल स्टेशन माउंट आबू के पहाड़ों में बसे एक छोटे से गांव जवाई गांव जहां पर एक अनोखी परंपरा पिछले सैकड़ों सालो से चली आ रही है। आपको बता दे कि जवाई गांव में शादी के बाद दामाद हमेशा के लिए ससुराल में बस जाते है।

जवाई गांव में अभी वर्तमान में 240 परिवार निवास कर रहे हैं। इस गांव में यह प्रचलन और परंपरा पिछले 700 वर्षों से चली आ रही है। बताया जा रहा है कि जवाई गांव में लड़कियों की संख्या ज्यादा थी, वहां पर किसी भी पुरुष से उनकी शादी के लिए रिश्ता करना कठिन था। इसी को देखते हुए एक अलग ही परंपरा उन्होंने निभाई जहां पर शादी के बाद लड़कियां विदा होकर नहीं जाती बल्कि लड़के विदा होकर आते है। उसके बाद से लड़के हमेशा के लिए अपनी पत्नी के घर में रहने लगते है, घर जमाई बनकर यानी की अपने ससुराल में बस जाते है।

इस गांव के लोगों का कहना है कि हमारे पूर्वज बताते थे कि आज से करीब 700 साल पहले इस गांव में लड़कियां ज्यादा थीं, जिससे उनकी शादी में समस्या आती थी। दो भाइयों जीवाजी और कान्हाजी ने इस गांव की दो बेटियों से शादी की. जीवाजी ने रंभा से शादी कर जवाई गांव को बसाया और दूसरे भाई कान्हाजी ने पवना से शादी कर जवाई गांव से 10 किलोमीटर दूर जंगल की ओर कनारी ढाणी को बसाया। माउंट आबू से मात्र 10 किलोमीटर दूर यह गांव बसा है।

माउंट आबू शहर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जवाई गांव में वर्तमान में 40 परिवार रहते हैं। यह परिवार परमार राजपूत है। इस गांव की आबादी 250 है। इसमें बसे परिवारों के कुछ लोग खेती, करी और गाड़ी चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। माउंट आबू के क्षेत्र में कुल 16 गांव है, जिनमें शेर गांव, उतरज गांव, गोवा गांव, मांच गांव, हेटमजी गांव, आरना गांव, साल गांव आदि हैं।

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