
दिलीप कुमार
नई शीक्षानीति 2020 आने के बाद देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में कई बड़े परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। अभी हाल ही में आयुर्वेद चिकित्सा पाठ्यक्रम में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल है।

आपको बता दें कि स्नातक डिग्री पाठ्यक्रम के छात्रों को अब क्वांटम मैकेनिक्स, सामान्य सर्जरी, योग और जीवन शैली प्रबंधन जैसे विषय पढ़ाये जाएंगे। इसके साथ ही छात्रों को रोबोटिक्स और कृत्रिम बुद्धिमता के उपयोग की बुनियादी जानकारी भी दी जायेगी।
इस परिवर्तन को लेकर भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग के अध्यक्ष डॉ. जयंत यशवंत देवपुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि आयोग ने हाल में अधिसूचना जारी कर स्नातक आयुर्वेद शिक्षा के न्यूनतम मानक तय किए हैं। इसके तहत आयुर्वेदिक औषदि एवं सर्जरी में स्नातक कोर्स का खाका तैयार किया गया है।
देवपुजारी ने परिवर्तित पाठ्यक्रम का विवरण देते कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा में स्नातक डिग्री कोर्स के तहत प्रथम व्यावसायिक पाठ्यक्रम बीएएमएस में पदार्थ विज्ञान विषय में क्वांटम मैकेनिक्स को शामिल किया गया है। उन्होंने क्वंटम मैकिनिक्स का महत्ता बताते हुए कहा कि यह भौतिकी का उपखंड है, इसलिए इसे पदार्थ विज्ञान के तहत शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह दर्शन नहीं बल्कि एक प्रयोग है। आयुर्वेद में सैकड़ों वर्षों पहले इसका उल्लेख किया गया है। ऐसे में इस पर किसी की कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने आयोग का उद्देश्य बताते हुए कहा कि आयोग भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी विकास का ढांचा तैयार करना चाहती है और इस उद्देश्य के लिए एक बहुविषयक समिति का गठन किया जाएगा, जो जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी, गणित, माइक्रो बायोलॉजी, मॉलिक्यूलर बयोलॉजी, बयो इंफार्मेटिक्स जैसे विषयों में नवाचार एवं नये घटनाक्रमों पर भी विचार विमर्श करेगी।
उन्होंने बताया कि आयोग के दस्तावेजों के अनुसार आयुर्वेद में बीएएणएस पाठ्यक्रम में तीन सेमेस्टर होंगे, जो 18-18 महीने के होंगे तथा अनिवार्य इंटर्नशिप 12 महीने का होगा। इसके साथ ही बीएमएस के अंतर्गत जीवनशैली प्रबंधन, प्रसूती विज्ञान एवं स्त्री रोग विज्ञान और सामान्य सर्जरी की भी जानकारी दी जाएगी।
इंदौर में फिजियोलॉजी संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनोहर भंडारी ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया, आयुष मंत्री सर्वानंद सोनेवाल, पीएम कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह को पत्र लिखकर भारतीय भाषाओं में चिकित्सा शिक्षा का नूतन पाठ्यक्रम तैयार करने का सुझाव दिया था।