कर्नाटक के ‘नाटक’ पर सुप्रीम कोर्ट ने दिए 36 घंटे, शनिवार को होगा ड्रामे का THE END

नई दिल्ली: कर्नाटक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट जिसमें कांग्रेस और जेडी-एस की याचिका पर दोबारा सुनवाई की. इस याचिका में राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला देते हुए कर्नाटक के मौजूदा मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा और कांग्रेस से शनिवार को शाम 4 बजे सदन में शक्ति परीक्षण करने को कहा है.

कोर्ट ने कहा कि फ्लोर टेस्ट होने तक मौजूदा मुख्यमंत्री कोई भी नया फैसला नहीं ले सकते. इस फ्लोर टेस्ट को प्रोटेम स्पीकर कराएंगे.

कर्नाटक मामले

कर्नाटक मामले में सुनवाई

केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस सीकरी ने सवाल उठाते हुए पूछा कि अगर दो पार्टियां अपने-अपने दावे कर रही हैं, तो गवर्नर ने किस आधार पर फैसला किया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष के अपने-अपने दावे हैं. हम कानून के अनुसार फैसला करेंगे. कानूनी प्रकिया का पालन होना चाहिए.

सिब्बल ने कहा कि सरकार बनाने का न्यौता पर्याप्त बहुमत वाली पार्टी को मिलना चाहिए या फिर गठबंधन के साथ सबसे बड़ी पार्टी को.

एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि राज्यपाल को कांग्रेस और जेडीएस के सभी सदस्यों के हस्ताक्षरित पत्र कभी नहीं मिला.

सुप्रीम कोर्ट में कुमारस्वामी की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसे मामलों में राज्यपाल को अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए?

कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘येदियुरप्पा ने कहा कि हमारे साथ विधायक हैं, लेकिन कौन साथ हैं इसका खुलासा कभी नहीं किया. दूसरी ओर कांग्रेस-जेडीएस ने सभी 117 के नाम लिख कर राज्यपाल को दिए.

इस पर बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये राज्यपाल का विशेषाधिकार है.

इस पर जस्टिस सीकरी ने कहा कि या तो आप कानून के अनुसार चलें या फिर शनिवार को सदन में बहुमत परीक्षण हो. ये आपको चुनना है, दूसरा विकल्प ज्यादा व्यावहारिक है.

इस पर बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये राज्यपाल का विशेषाधिकार है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्ताव देते हुए कहा कि बेहतर होगा कि शनिवार को बहुमत परीक्षण हो और ऐसा सदन के अंदर होना चाहिए.

कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर कल बहुमत परीक्षण के लिए सदन को बुलाया जाता है, तो भी इस मामले में कानून सम्मत निर्णय होना चाहिए कि क्या इस मामले में राज्यपाल निर्णय ले सकते हैं.

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जस्टिस सीकरी ने कहा कि अगर स्पष्ट बहुमत होता, तो कोई समस्या नहीं होती. अगर चुनाव से पहले गठबंधन होता तो स्थिति अलग होती लेकिन चुनाव बाद गठबंधन से इसकी प्राथमिकता कम नजर आती है.

इस बात पर बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है और उन्हें जमीनी हकीकत पता है. उन्होंने सरकारिया कमीशन का जिक्र करते हुए कहा कि येदियुरप्पा को सदन में अपना बहमुत साबित करना है. सरकारिया कमीशन इस मामले में गाइडलाइन है और ये गवर्नर का विशेषाधिकार है.

जस्टिस सीकरी ने कहा कि एक तरफ कांग्रेस और जेडीएस ने गवर्नर को बहुमत की संख्या का पत्र दिया है, दूसरी तरफ येदियुरप्पा का दावा है कि उनके पास बहुमत है. किस आधार पर राज्यपाल ने येदियुरप्पा को गठबंधन के ऊपर तरजीह दी?

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मुकुल रोहतगी ने राज्यपाल को दिए गए येदियुरप्पा को पत्रों को कोर्ट में पढ़कर सुनाया और दलील दी कि बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है. रोहतगी ने कांग्रेस और जेडीएस को अपवित्र बताया. उन्होंने कहा कि नंबर दो और नंबर तीन पार्टियां बीजेपी से काफी पीछे हैं.

बता दें कि कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने पहले बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्यौता दिया था, जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई. शीर्ष कोर्ट आज इसी याचिका पर फिर सुनवाई शुरू करेगी.

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