सप्रीम कोर्ट ने दी हदिया को आज़ादी, माता-पिता के बंधन से हुई मुक्त
नई दिल्ली। सिर पर लाल रंग का स्कार्फ बांधे केरल की हदिया ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय से अपने लिए ‘आजादी और रिहाई’ मांगी। शीर्ष अदालत ने उसे माता-पिता की कस्टडी से मुक्त करने और सलेम होम्योपैथी कॉलेज में उसकी शिक्षा पूरी करने देने के आदेश दिए। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने हदिया से जब पूछा कि माता-पिता की कस्टडी से निकलने के बाद वह किसके साथ जाएगी, तो उसने कहा कि वह अपने पति के साथ रहना चाहेगी।
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न्यायालय ने कहा कि उसे मेडिकल कॉलेज के नियम के मुताबिक लोगों से मिलने दिया जाए। यह केरल का कथित लव जिहाद का मामला है। हदिया ने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाने का फैसला किया था और मुस्लिम शफीन जहान से शादी की थी। उसके पिता ने कहा था कि उनकी बेटी का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है।
यह फैसला पीठ में प्रधान न्यायाधीश के साथ शामिल न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़ द्वारा हदिया से 25 मिनट की बातचीत के बाद सुनाया गया। हदिया ने बातचीत के दौरान अपनी हाउस इंटर्नशिप पूरी करने और डॉक्टर बनने की इच्छा जताई।
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हदिया ने मलयालम में अपनी बात रखी जिसे एक वकील ने अनुवाद कर पीठ को बताया।
दो घंटे तक चली जिरह में निर्णायक क्षण तब आया जब हदिया के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यहां बहस हदिया और शफीन के विवाह को लेकर नहीं हो रही है, न ही उसके इस्लाम स्वीकारने या किसी अन्य बात पर हो रही है, बल्कि इस पर हो रही है कि उसे उसके पिता की कस्टडी में कैसे रखा जा सकता है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने हदिया से पूछा, “भविष्य के लिए तुम्हारा सपना क्या है?” जवाब में उसने कहा, “आजादी, रिहाई।”
बता दें बीते आठ महीने से अपने अभिभावकों की कस्टडी में है।
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न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने उससे उसकी पढ़ाई, जीवन के प्रति रुख, भविष्य की योजनाओं पर बात की। उसने कहा कि वह एक मुकम्मल डाक्टर बनना चाहती है। न्यायालय ने केरल सरकार से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हदिया को सादे कपड़े पहने पुलिस बलों के साथ सलेम मेडिकल कॉलेज सुरक्षित पहुंचाया जाए। मेडिकल कालेज से कहा गया कि हदिया को हास्टल सुविधा दी जाए और वैसा ही व्यवहार किया जाए जैसा कि अन्य विद्यार्थियों के साथ किया जाता है।
‘संगठित इस्लामिक संगठनों’ द्वारा कथिल लव जेहाद के मामले की व्यापक स्तर पर जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कहा कि अदालत हदिया से बात करने से पहले उसके द्वारा एकत्रित कुछ ‘बेहद विचारणीय तथ्यों’ को देख ले।
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एडिशनल सालिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने पीठ से कहा कि एनआईए का हदिया मामले से सरोकार नहीं है, लेकिन उसी के साथ-साथ ही यह भी कहा कि अदालत ‘मासूम दिमागों में अपनी बात को घुसाने के लिए काम करने वाले मजबूत संगठनों’ से संबंधित उसकी सौ पन्नों की स्टेटस रिपोर्ट में से छह पन्ने पढ़ ले जिसमें कुछ ‘बेहद विचारणीय तथ्य’ हैं।
अदालत ने आदेश दिया कि एनआईए अपनी जांच जारी रखे।
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इससे पहले केरल उच्च न्यायालय ने शफीन जहां से हदिया के विवाह को अवैध घोषित कर दिया था और उसे उसके पिता के संरक्षण में भेज दिया था।
https://youtu.be/vtrvT1UncYM