दबाव में SC कोलेजियम, मोदी सरकार ने ऐसे लिया जस्टिस जोसेफ से बदला!
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति रोकने को लेकर कांग्रेस बौखला गई है. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट कर जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं.
चीफ जस्टिस केएम जोसेफ का प्रमोशन रुका
दरअसल, केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश के आधार पर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदू मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया है. वहीं, उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति पर कोई फैसला नहीं लिया है. इस बात से राक्नीति गर्म हो गई है.
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पी चिदंबरम ने ट्वीट किया कि, ‘खुश हूं कि इंदू मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगी. निराश हूं कि जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति अभी भी रोकी गई है. केएम जोसेफ की पदोन्नति आखिर क्यों रोकी गई है? क्या इसके लिए उनका राज्य, उनका धर्म या उत्तराखंड केस में उनका फैसला लेना जिम्मेदार है?’
पी चिदंबरम ने लिखा, ‘कानून के मुताबिक, जज नियुक्त में कॉलेजियम की सिफारिश ही अंतिम है. क्या मोदी सरकार कानून से ऊपर हो गई है?’
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बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश मानते हुए सीनियर एडवोकेट इंदु मल्होत्रा को SC का जज नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है. इंदु सुप्रीम कोर्ट में वकील से सीधे जज बनने वाली पहली महिला होंगी. कोलेजियम ने फरवरी में अपनी सिफारिश भेजी थी.
सरकार का कहना है कि जस्टिस जोसेफ के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की राह में वरिष्ठता सबसे बड़ा रोड़ा है. सूत्रों के मुताबिक देश भर में उच्च न्यायालयों में सेवारत चीफ जस्टिस और जजों की वरिष्ठता सूची में जस्टिस जोसफ काफी नीचे आते हैं. यानी लगभग तीन दर्जन जज उनसे सीनियर हैं. साथ ही क्षेत्रीय या राज्यवार संतुलन को देखते हुए भी सरकार ने जस्टिस जोसफ को सुप्रीम कोर्ट न भेजने की ठान रखी है.
21 मार्च 2016 को चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की खंडपीठ ने उत्तराखंड में केंद्र के राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को पलट दिया था. इसके वजह से हरीश रावत एक बार फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन गए थे. इसके साथ ही जस्टिस जोसेफ ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी.