यूपी में नाला-नालियों में कूड़ा फेंकने पर कड़ा एक्शन: तत्काल चालान और भारी जुर्माना, नगर निकायों को उपविधि बनाने का आदेश

उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में नाला-नालियों में कूड़ा-कचरा फेंकने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी है। नगर विकास विभाग ने उत्तर प्रदेश प्लास्टिक और अन्य जीव अनाशित कूड़ा-कचरा (उपयोग और निस्तारण का विनियमन) अधिनियम के तहत सभी नगर निकायों को उपविधि (बायलॉज) बनाने और इसे सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है।

इसके तहत कूड़ा फेंकते पकड़े जाने पर मौके पर चालान और भारी जुर्माना लगेगा। जुर्माने की राशि शहर की श्रेणी (टियर-1, टियर-2 आदि) के आधार पर नगर निकाय तय करेंगे।

बारिश के मौसम में नाले-नालियों के चोक होने से जलभराव की समस्या ने लखनऊ, कानपुर, वाराणसी जैसे शहरों में जनता को परेशान किया है। कई शहरों में यह समस्या साल भर रहती है, क्योंकि लोग नालियों में प्लास्टिक, कचरा और गैर-जैविक सामग्री फेंक देते हैं।

पहले भी शासन ने 2018 में इस अधिनियम के तहत निर्देश दिए थे, लेकिन ज्यादातर नगर निकायों ने इसे लागू नहीं किया। अब उच्चस्तरीय निर्णय लिया गया है कि इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जाए।

मुख्य बिंदु:

  • तत्काल चालान: नाले-नालियों में कूड़ा डालते पकड़े जाने पर तुरंत चालान होगा। जुर्माने की राशि नगर निकाय तय करेंगे, जो 500 से 5,000 रुपये तक हो सकती है।
  • उपविधि निर्माण: प्रत्येक नगर निकाय को अपने स्तर पर उपविधि बनानी होगी, जिसमें जुर्माने की राशि, कार्रवाई प्रक्रिया और निगरानी तंत्र शामिल होगा।
  • उच्चस्तरीय कमेटी: प्रमुख सचिव (नगर विकास) की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जिसमें स्थानीय निकाय निदेशक सदस्य सचिव होंगे। यह कमेटी हर छह महीने में प्रगति की समीक्षा करेगी।
  • लक्ष्य: जलभराव की समस्या को 50% तक कम करना, शहरी स्वच्छता बढ़ाना और नालियों को चोक होने से रोकना।

प्रभाव और अपेक्षाएं

शासन का मानना है कि सख्ती से जलभराव की समस्या कम होगी और स्वच्छ भारत मिशन को बढ़ावा मिलेगा। लखनऊ में पहले से कुछ क्षेत्रों में निगरानी शुरू हो चुकी है, जहां ड्रोन और सीसीटीवी से कूड़ा फेंकने वालों पर नजर रखी जा रही है।

वाराणसी और गोरखपुर जैसे शहरों में भी पायलट प्रोजेक्ट शुरू होंगे। नागरिकों से अपील की गई है कि वे कूड़ा डस्टबिन में डालें और नगर निगम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करें।

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