Social Media पर अब गाली-गलौज करना पड़ेगा महंगा, सुप्रीम कोर्ट सख्त
नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर समाज के नजरिए को खूली छूट मिलना अब भयानक रूप ले रहा है। इसपर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कार्रवाई करने का फैसला लिया है। कारण है कि ट्रोल और कमेंट में लोगों का बदला बरताव। जिसपर शीर्ष अदालत ने एक टिप्पणी में कहा, ‘‘उन्हें इस बात को देखने के लिये उच्चतम न्यायालय में बैठना चाहिए कि कैसे सरकार की खिंचाई की जाती है।’’
पीठ ने सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ भेजा मामला
इसके साथ ही पीठ ने इस मामले की और विस्तृत सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने एक समाचार चैनल को दिये गए बयान में शीर्ष अदालत के एक जज पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि शीर्ष अदालत के कई न्यायाधीश ‘सरकार समर्थक’ हैं। न्यायालय ने साथ ही यह भी कहा कि शीर्ष अदालत सरकार को भी फटकार लगाती है।
शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन और हरीश साल्वे के उन सुझावों पर भी सहमति जताई कि सोशल मीडिया पर इस तरह की घटनाओं का नियमन किये जाने की आवश्यकता है।
ये दोनों उत्तर प्रदेश में एक हाईवे पर सामूहिक बलात्कार के मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान के बयान से संबंधित मामले में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहे हैं। बुलंदशहर के पास घटी उस घटना को आजम खान ने एक राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया था।
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