
नई दिल्ली। डिप्लोमेटिक एनक्लेव के रूप में मशहूर चाणक्यपुरी में स्थित जेजे क्लस्टर संजय कैम्प में शनिवार सुबह की चहल-पहल और दिनों से बिल्कुल अलग थी। करीब 10 जनसंख्या वाले इस शहरी स्लम एरिया में 2000 छात्र स्वयंसेवकों ने पेंट और ब्रश की बाल्टी के साथ इस इलाके में प्रवेश किया और इसका हुलिया बदलना शुरू कर दिया।

विभिन्न दूतावासों के बीचो-बीच बसे इस स्लम एरिया को कई सालों से सौंदर्यीकरण और रंग-रोगन की सख्त जरूरत थी और इसकी यह जरूरत शालीमार पेंट्स के सकारात्मक पहल ‘पेंट द चेंज’ के माध्यम से पूरी हो गई। देखते ही देखते रंगहीन दिखने वाले संजय कैम्प की 1500 दीवारें एक ज्वलंत कैनवास में परिवर्तित हो गईं।
इस जीवंत परिवर्तन की शुरूआत युवाओं ने की, जो उत्साह के साथ इस पुराने स्लम में ‘पेंट द चेंज’ शालीमार पेंट्स की मुहिम में शामिल हो गए। सैकड़ों युवा और ऊजार्वान स्वयंसेवकों, कलाकारों, लेखकों और फोटोग्राफरों ने शालीमार पेंट्स की दो भागीय सामाजिक पहल-रंग बदलाव के-के हिस्से के रूप में संजय कैम्प स्लम समुदाय के बारे में कहानियों को चित्रित करने, सुशोभित करने, फोटोग्राफ लेने और कहानियां बताने के लिए तैयार हुए।
इस सामाजिक परिवर्तन अभियान का पहला हिस्सा 6-7 अक्टूबर को आयोजित किया गया था।

शालीमार पेंट्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुरेंद्र भाटिया ने कहा, ‘शालीमार पेंट्स समुदायों में प्रभाव पैदा करने के लिए जरूरी मजबूत प्रचारक हैं। हम उन परियोजनाओं को शुरू करने का प्रयास करते हैं जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाएंगे। हमारा अत्यधिक लक्ष्य हमेशा उन बच्चों के लिए एक बेहतर वातावरण प्रदान करना रहा है जो उनकी जीवन की गुणवत्ता और उनके समग्र विकास को बढ़ावा दे। इस अनूठे प्रयास के माध्यम से, हमने पहले ही सैकड़ों बच्चों के चेहरों पर मुस्कान देखी है और इस तरह की खुशी फैलाने के कार्यक्रम का हिस्सा बनना संतोषजनक है।”
शालीमार पेंट्स लिमिटेड की वाइस प्रेसिडेंट (मार्केटिंग) मीनल श्रीवास्तव ने कहा, ‘यह पहल सकारात्मक परिवर्तन लाने और लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के हमारे समर्पण को प्रदर्शित करती है। संजय कैम्प पीढ़ियों से कई परिवारों का घर रहा है। अब उनके जीवन को उज्जवल करने और उन्हें अपनी कहानियों को बताने का मौका देने का समय था। हम इस पहल में युवाओं की भारी भागीदारी को देखकर रोमांचित हैं। बदलाव लाने और उनसे कम भाग्यशाली लोगों के जीवन को बेहतर करने की उनकी कोशिश प्रत्यक्ष थी, जबकि उनकी ऊर्जा इस तथ्य का प्रमाण था कि उदारता एक स्वाभाविक मानवीय गुण है।’





