अश्लीलता परोसने वाली वेबसाइटों पर सरकार सख्त, 4 हजार से अधिक साइटें ब्लॉक

नई दिल्ली। इंटरनेट पर अश्लील खासतौर पर बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़ी सामग्री परोसने वाली वेबसाइटों के खिलाफ सरकार की सख्ती बढ़ती जा रही है। इंटरपोल की मदद से ऐसी वेबसाइटों पर सरकार की कार्रवाई में न केवल तेजी आई है, बल्कि स्कूलों और अन्य संस्थाओं के सहयोग से इंटरनेट के इस्तेमाल को सुरक्षित बनाने के कदम उठाने की रफ्तार भी बढ़ी है।

बच्चों के यौन उत्पीड़न

 

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक, बीते साल ही सरकार ने इंटरपोल से मिली सूचना के आधार पर ऐसी 4694 वेबसाइटों को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए, जो इस तरह की सामग्री जारी कर रही थीं। सरकार समय-समय पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) के जरिये इंटरपोल से ऐसी वेबसाइटों की बाबत एक सूची प्राप्त करती है। इंटरपोल की इस ‘वस्र्ट लिस्ट’ में बच्चों के यौन उत्पीड़न से संबंधित सामग्री इंटरनेट पर परोसने वाली वेबसाइटों की सूची होती है।

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इसी के आधार पर सरकार तय करती है कि किस वेबसाइट को ब्लॉक किया जाना है। वेबसाइटों को ब्लॉक करने का निर्देश दूरसंचार विभाग जारी करता है। सरकार यह निर्णय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 79 के अंतर्गत करती है।

सरकार ने सभी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों को भी बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़ी वेबसाइटों पर लगाम कसने के लिए ग्राहकों को जागरूक करने और इंटरनेट के लिए अंतिम छोर पर इस्तेमाल होने वाली मशीन में फिल्टर लगाने को कहा है। इससे ईमेल, एसएमएस या वेबसाइट पर ऐसी सामग्री के आने-जाने को रोका जा सकेगा। सरकार ने ऐसे सेवा प्रदाताओं से इंटरनेट निगरानी फाउंडेशन की सूची प्राप्त करने का प्रबंध करने को भी कहा है ताकि वे खुद ऐसी वेबसाइटों को ब्लाक करने जैसा कदम उठा सकें।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने भी स्कूलों को एक दिशानिर्देश जारी किया है, जिसे स्कूलों में लागू किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रलय ने इस संबंध में केंद्रीय साइबर अपराध महिला एवं बाल संरक्षण (सीसीपीडब्ल्यूसी) को भी व्यापक स्तर पर निगरानी करने और जरूरत पड़ने पर उचित कदम उठाने को कहा है।

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गौरतलब है कि सीसीपीडब्ल्यूसी ने पिछले वर्ष पॉक्सो ई-बॉक्स पोर्टल की शुरुआत की थी ताकि बच्चों को निशाना बनाकर किए गए साइबर अपराधों को सामने लाया जा सके। अब इसका दायरा बढ़ाकर इसमें बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़े अन्य साइबर अपराधों को भी शामिल कर लिया गया है। ई-बॉक्स को मोबाइल एप के जरिये गूगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध कराया गया है।

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