कुशीनगर: 3 बच्चों को खोने वाले पिता की गई आवाज़, जानें शोक में डूबे परिवारों की दर्दनाक दास्तां

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पांच दिन पहले हुई रेल-वैन दुर्घटना में 13 स्कूली बच्चों की मौत के चौथे दिन रविवार को उन पांच गांवों की फिजा गम और सदमे के बीच कराहती दिखी, जिसमें पीड़ित परिवारों के दर्द से गांव का जर्रा-जर्रा रोता दिखा। यह दर्द तब और बढ़ गया, जब अचानक अपने बच्चों को खोने वाली एक साथ तीन मां भी गंभीर रूप से बीमार हो गईं और उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया। गम में डूबे गांव के लिए यह एक और बड़ा सदमा है।

स्कूली बच्चों की मौत

अपने तीन बेटों को खोने वाले पिता की सदमे से अचानक आवाज ही बंद हो गई। अपने इकलौते पुत्र हरिओम को खोने वाली ग्राम बतरौली धुड़खणवा निवासी नीतम सिंह की हालत आज पहले से भी खराब हो गई। आनन-फानन में परिजनों को जिला अस्पताल ले गए। अभी इनका इलाज चल ही रहा था कि अपने बेटे मेराज व बेटी मुस्कान को खोने वाली ग्राम महियरवा निवासी सलमा की हालत भी नाजुक हो गई। परिजन सीएचसी दुदही लाकर भर्ती कराए। जहां इलाज चल रहा है।

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इसी टोले के अनस की मां खुशुबनेशा व अरशद की मां सबरून की हालत भी नाजुक होने पर परिजन सीएचसी लाकर भर्ती कराए। जहां इलाज चल रहा है। दूसरी ओर, अपने दो बेटों व एक बेटी को खोने वाले मिश्रौली के प्रधान प्रतिनिधि अमरजीत की आवाज ही गायब हो गई है। उनकी पत्नी किरन की सदमें में जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस परिवार के बढ़े इस दर्द को लेकर मानों पूरा गांव रो पड़ा हो। लोग अस्पताल की ओर दौड़े। हर ओर इसी की चर्चा हो रही थी कि अब कितना कहर बरपाएगा ऊपर वाला!

डिवाइन पब्लिक स्कूल दुदही की वैन के इंतजार में साहिल व गुलजार भी खड़े थे। दोनों सगे भाई हैं। उस दिन सुबह के करीब सवा छह बज रहे होंगे जब दोनों एक साथ तैयार होकर घर से स्कूल के लिए निकले थे। चंद दूरी का फासला तय कर वह गांव के बाहर उसी स्थान पर पहुंचे जहां वैन के आने का इंतजार रहता था। आपस में मशगूल साहिल ने वैन को आते देख यह सूचना छोटे भाई गुलजार को दी। वैन की ओर निहारते दोनों खुश हो गए। कुछ क्षण ही गुजरे थे कि अचानक एक तेज आवाज हुई और दोनों भाइयों ने देखा कि उन्हें स्कूल ले जाने व ले आने वाली वैन ट्रेन से भिड़ने के बाद दूर तक घसीटती चली जा रही है।

घबराए शाहिल व गुलजार चिल्लाते हुए वापस घर की ओर भागने लगे। बच्चों को इस हाल में भागते देख लोग भी घबरा उठे और सभी तेजी से उस स्थान, बहपुरवा स्थित मानव रहित रेलवे क्रासिग की ओर दौड़ पड़े जिधर से तेज आवाज सुनाई दी थी। इधर बदहवासी की हालत में घर पहुंच साहिल व गुलजार ने आंखों देखी घटना की सूचना जैसे-तैसे परिजनों को दी। बच्चों की हालत देख मां-बांप उन्हें संभालने में जुट गए। घर के लोग शोर मचाते हुए घटनास्थल की और दौड़ पड़े थे।

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पडरौन मडूरही निवासी अनवर बताते हैं कि उनके दोनों बेटे 10 वर्षीय साहिल व नौ वर्षीय गुलजार घटना के तीन दिन बाद भी उस सदमे से उबर नहीं सके हैं। परिवार डाक्टरों के संपर्क में है। सुबह-शाम स्वास्थ्य विभाग की टीम घर पहुंच दोनों के स्वास्थ्य का जांच कर रही। दोनों डिवाइन पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं। साहिल कक्षा पांच तो गुलजार कक्षा चार का छात्र है।

गौरतलब है कि गुरुवार को दुदही के बहपुरवा स्थित जिस मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर यह दर्दनाक घटना हुई थी, जिसमें 13 बच्चों की मौत हो गई। उसी क्रॉसिंग के उस पर साहिल व गुलजार रोज की तरह खड़े होकर वैन के आने का इंतजार कर रहे थे। फिलहाल परिजनों ने साहिल व गुलजार को इस बात की जानकारी नहीं दी है कि कल तक उनके साथ पढ़ने व आने-जाने वाले 13 साथी अब इस दुनिया में नहीं हैं और वह उनसे कभी नहीं मिल सकेंगे।

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