गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले की जांच करेगा EOW

गोमती रिवर फ्रंटलखनऊ। अखिलेश सरकार में बने गोमती रिवर फ्रंट के घोटाले की जांच का ज़िम्मा अब आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया गया है। जबकि यूपी की मौजूदा सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश की थी। पर योगी सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सीबीआई ने इस मामले की जांच करने से इनकार कर दिया था।

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मामले में दर्ज एफआईआर की जांच में गोमतीनगर थाने के सीओ दीपक सिंह ने कहा कि “मामले में एफआईआर दर्ज कराने वाला सिंचाई विभाग बयान देने से बच रहा है। इस कारण जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। इसी कारण से उन्होंने जांच ईओडब्ल्यू भेज दी है”।

बता दें कि योगी सरकार ने जून महीने में गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी लेकिन सीबीआई ने इसकी जांच लेने से इंकार कर दिया।

नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट के बाद यह सिफारिश की गई। इतना ही नहीं न्यायिक जांच में दोषी मिले अफसरों के खिलाफ भी आपराधिक केस दर्ज कराने का फैसला किया गया।

इस तरह हुआ घोटाले का खुलासा

19 मार्च को शपथ लेने के बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का निरीक्षण किया था। उन्होंने प्रोजेक्ट की स्थिति देखकर सख्त नाराजगी व्यक्त की थी और मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिए थे।

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इस न्यायिक जांच में बताया गया कि प्रोजेक्ट के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए अधिकारियों और इंजीनियरों ने जमकर हेराफेरी की।

16 जून को न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष पेश की। रिपोर्ट में कहा गया कि अधिकारियों ने पैसों के हेराफेरी के लिए जमकर आपराधिक साजिश रची।

दरअसल, सपा सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट के लिए करीब 1513 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। आरोप है कि इसमें से 1437 करोड़ यानी की 95 फीसदी फंड पहले ही जारी कर दिए गए थे। इसके बावजूद 60 फीसदी काम भी पूरा नहीं हुआ।

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