SAWAN PURNIMA VRAT: भाई-बहन के पवित्र रिश्तों की मिठास है श्रावण पूर्णिमा का व्रत…

भारत में रक्षाबंधन के त्योहार के रूप में मनाया जाता हैं श्रावण पूर्णिमा का व्रत। भाई-बहन के पवित्र रिश्तों की मिठास हैं यह त्यौहार। पूरे भारत में इसे बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। असल में श्रावण पूर्णिमा देश में हर प्रांत में अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है। अमावस्या को चंद्रमा घटते-घटते बिल्कुल समाप्त हो जाता है तो अमावस्या के पश्चात बढ़ते-बढ़ते पूर्णिमा के दिन वह एक दम गोल-गोल बड़ा दुधिया चांदनी वाला नज़र आता है। जिन दिनों में चंद्रमा का आकार घटता है वह कृष्ण पक्ष तो जिन दिनों में बढ़ता है वह शुक्ल पक्ष कहलाता है।

पूर्णिमा को पूर्णमासी, पूनम आदि कई नामों से जाना जाता है। ज्योतिषशास्त्र में 27 नक्षत्र माने जाते हैं। सभी नक्षत्र चंद्रमा की पत्नी माने जाते हैं। इन्हीं में एक है श्रवण। मान्यता है कि श्रावण पूर्णिमा को चंद्रमा श्रावण नक्षत्र में गोचरत होता है। इसलिए पूर्णिमांत मास का नाम श्रावण रखा गया है और यह पूर्णिमा श्रावण पूर्णिमा कहलाती है। सावन का महीना रिमझिम फुहारों और हरियाली से मन को आनंदित कर देता है। इसी महीने की पूर्णिमा को भारत में रक्षाबंधन के त्योहार के रूप में।

प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा होती है। दरअसल चंद्रमा की कलाओं के उतरने चढ़ने से ही माह के दो पक्ष निर्धारित किये जाते हैं। पूर्णिमा को पूर्णमासी, पूनम आदि कई नामों से जाना जाता है। धार्मिक रूप से भी यह तिथि बहुत ही सौभाग्यशाली मानी जाती है। इसलिये इसका महत्व भी बहुत अधिक माना जाता है। श्रावण मास की पूर्णिमा तो इस मायने में और भी खास हो जाती है। आइये जानते हैं श्रावण पूर्णिमा के महत्व व पूर्णिमा व्रत व पूजा विधि के बारे में। श्रावण मास की पूर्णिमा पर वैसे तो विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न पर्वों के अनुसार पूजा विधियां भी भिन्न होती हैं।

श्रावण पूर्णिमा व्रत फल:
इस व्रत का विधिपूर्वक पालन करने से व्यक्ति यदि वर्ष भर वैदिक कर्म करना भूल गया हो या न किया हो तो इस व्रत के फलस्वरूप उसे सभी कर्मों का फल मिल जाता है। यह अकेला व्रत पूरे साल किए गए अन्य व्रतों की तुलना में समान फल देता है।

हरदोई जिला अस्पताल के बाहर कूड़ेदान में मिला बच्चे का शव, सूचना पर पहुंची पुलिस

श्रावण पूर्णिमा व्रत व पूजा विधि:
1-लेकिन चूंकि इस दिन रक्षासूत्र बांधने या बंधवाने की परंपरा है तो उसके लिये लाल या पीले रेशमी वस्त्र में सरसों, अक्षत, रखकर उसे लाल धागे (मौली या कच्चा सूत हो तो बेहतर) में बांधकर पानी से सींचकर तांबे के बर्तन में रखें।
2-भगवान विष्णु, भगवान शिव सहित देवी-देवताओं, कुलदेवताओं की पूजा कर ब्राह्मण से अपने हाथ पर पोटली का रक्षासूत्र बंधवाना चाहिये।
3-तत्पश्चात ब्राह्मण देवता को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा देकर उन्हें संतुष्ट करना चाहिये।
4-साथ ही इस दिन वेदों का अध्ययन करने की परंपरा भी है।
5-इस पूर्णिमा को देव, ऋषि, पितर आदि के लिये तर्पण भी करना चाहिये।
6-इस दिन स्नानादि के पश्चात गाय को चारा डालना, चिंटियों, मछलियों को भी आटा, दाना डालना शुभ माना जाता है।
7-मान्यता है कि विधि विधान से यदि पूर्णिमा व्रत का पालन किया जाये वर्ष भर वैदिक कर्म न करने की भूल भी माफ हो जाती है।
8-मान्यता यह भी है कि वर्ष भर के व्रतों के समान फल श्रावणी पूर्णिमा के व्रत से मिलता है।

गाजियाबाद में धूमधाम से मनाया जा रहा तीज का त्यौहार, महिलाओं में दिख रहा उत्साव

2019 में श्रावणी पूर्णिमा:
साल 2019 में श्रावणी पूर्णिमा 15 अगस्त को है। इस बार सूर्योदय से पहले ही भद्रा समाप्त हो रही है इसलिए यह पूर्णिमा बहुत ही शुभ है।
-पूर्णिमा तिथि आरंभ – 15:45 बजे (14 अगस्त 2019)
-पूर्णिमा तिथि समाप्त – 17:59बजे (15 अगस्त 2019)

LIVE TV