‘दीन बचाओ-देश बचाओ’ क्रांति का आगाज, पहली भार भाजपा के खिलाफ सड़कों पर उतरा जनसैलाब

नई दिल्ली। इमारत शरिया और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने संयुक्त रूप से ‘दीन-बचाओ और देश बचाओ’ की मुहिम छेड़ते हुए बिहार की राजधानी पटना में इसका आगाज किया। पटना के गांधी मैदान में लाखों मुस्लिम धर्म बचाने के नाम पर आयोजित इस रैली का हिस्सा बने। ऐसा पहली बार हुआ कि इतनी बड़ी तादाद में मुस्लिमों ने सरकार के विरोध में एक साथ आवाज उठाई।

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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

हालांकि तीन तलाक क़ानून पर भी मुस्लिमों ने अपने आकाओं के साथ मिल इसका पुरजोर विरोध किया था। लेकिन रविवार को बिहार की इस रैली का नजारा बड़ी क्रान्ति का रंग लेने के आसार दिखा रहा है।

रैली में क़ानून व्यवस्था, संविधान और इस्लाम पर खतरे का मुद्दा अहम तौर पर उठाया गया। मुस्लिमों का दावा है कि उनके धर्म के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। भारत में रहने के बावजूद उन्हें इस देश का नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का समर्थक माना जाता है।

वे भी भारतीय हैं और तिरंगे के लिए उनके भी ज़ज्बात वही है जो किसी और धर्म को मानने वालों के है। यह साबित करने के लिए रैली में इस बात का भी जिक्र किया गया कि आने वाले समय में यदि जरूरत पड़ी तो वे अपनी देश और धर्म के लिए जान भी दे सकते हैं।

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खबरों के मुताबिक कार्यक्रम का उद्घाटन अमीर-ए-शरीयत मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने किया। सम्‍मेलन का उद्देश्य हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द और भाईचारे के खिलाफ खड़ी ताकतों के खिलाफ लोगों को सचेत करना है। सम्‍मेलन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसमें जन-सैलाब उमड़ पड़ा है।

बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा कि ‘हमने चार साल इंतजार किया, यह सोचकर कि बीजेपी संविधान के तहत देश चलाना सीख लेगी। मुसलमानों के पर्सनल लॉ पर हमला हो रहा है। हमें अपने लोगों और देशवासियों को बताना पड़ रहा है कि देश के साथ-साथ इस्लाम पर भी खतरा है।’

हालांकि इमारत शरिया ने रैली को किसी राजनीतिक पार्टी के समर्थन प्राप्त होने की बात को खारिज किया है।

कार्यक्रम में मौलाना अबु तालीम रहमानी ने कहा जब डोकलाम से लेकर किसी दूसरे बॉर्डर पर फ़ौज को नौजवानों की दरकार लगे, सरकार सिर्फ एक बार हमसे कहे।

हम अपने बच्चों को मदरसों से निकाल कफन पहनकर फ़ौज के सुपुर्द कर देंगे। भारत के मुसलमान भूखे रह सकते हैं, लेकिन देश का सौदा कभी नही कर सकते।

हम देश को भी बचाएंगे और जरूरत पड़ी तो पाकिस्तान को भी ठोक देंगे। हमारी एक रिजर्व फोर्स घर में है। वो हमारी औरते हैं। जरूरत पड़ी तो वे भी उठ खड़ी होंगी।

इमारत शरिया के नाजिम अनीसुर रहमान कासमी ने बताया कि यह गैर राजनीतिक कार्यक्रम है। उन्होंने आग्रह किया कि इसे राजनीति से जोड़कर न देखा जाए।

सम्मेलन की सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की गई है। गांधी मैदान में जगह-जगह दंडाधिकारियों, पुलिस अधिकारियों को महिला और पुरुष बल के साथ तैनात किया गया है। सभी गेटों की कमान दंडाधिकारियों के जिम्मे है। गांधी मैदान के साथ-साथ शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर दंडाधिकारी तैनात किए गए हैं। बड़ी-बड़ी इमारतों से भी गांधी मैदान की सुरक्षा का ख्याल रखा जा रहा है।

सम्मेलन को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए पांच हजार सुरक्षाकर्मी, 300 दंडाधिकारी व 350 पुलिस पदाधिकारियों की तैनाती की गई है।

जिलाधिकारी कुमार रवि ने बताया कि सुरक्षा के साथ-साथ आने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रहीं हैं। एंबुलेंस के साथ चिकित्सक भी तैनात किए गए हैं।

बता दें इमारत शरिया 1921 में बिहार, झारखंड, ओडिशा के मुस्लिमों को शरिया के तहत आने वाले मुद्दों को समझाने के लिए बनाई गई थी।

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