रोहिंग्याओं का बांग्लादेश पलायन पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए चुनौती : भारतीय उच्चायुक्त

अगरतला। बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त हर्षवर्धन श्रृंगला ने यहां कहा कि रोहिंग्याओं का म्यांमार से बांग्लादेश की तरफ प्रवाह पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती है। यहां दौरे पर आए श्रृंगला ने कहा, “म्यांमार के रखाइन राज्य से रोहिंग्याओं का बांग्लादेश आना न केवल बांग्लादेश बल्कि समूचे क्षेत्र के लिए समान और गंभीर सुरक्षा चुनौती है।”

रोहिंग्याओं

उन्होंने कहा, “बांग्लादेश अपने स्तर से इस मुद्दे को निपटाने में लगा हुआ है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से बात की है, बहुपक्षीय एजेंसियों से संपर्क किया है और म्यांमार से द्विपक्षीय वार्ताएं की हैं।” श्रृंगला ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों की घर वापसी के लिए म्यांमार व बांग्लादेश में समझौता हुआ है। यह मानवीय संकट है लेकिन साथ ही यह बांग्लादेश समेत पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक चुनौती भी है।

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बांग्लादेश में इस समय दस लाख से अधिक की संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं। बांग्लादेश में चरमपंथी गतिविधियों के बारे में पूछे जाने पर भारतीय राजनयिक ने कहा कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना आतंकवाद के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति पर अमल कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि ढाका की होली आर्टिजन बेकरी कैफे में जुलाई 2016 में हुए आतंकी हमले के बाद बांग्लादेश में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए सक्रिय कर दिया गया है। इस घटना के बाद अभी तक कोई बड़ी आतंकी घटना नहीं हुई है। लेकिन, यह ऐसा मामला है जिसे रातोंरात नहीं हल किया जा सकता। यह एक सतत प्रक्रिया है।

भारतीय उच्चायुक्त यहां गुरुवार को पहुंचे और उन्होंने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देब, राज्यपाल तथागत रॉय और अन्य वरिष्ठ अफसरों से मुलाकात की है। उन्होंने देब से आवागमन संपर्क, दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क, भारतीयों के बिना समस्या बांग्लादेश जाने और व्यापार के मुद्दों पर बात की।

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बांग्लादेश और चीन के बीच बढ़ते सहयोग व निवेश के बारे में पूछे जाने पर श्रृंगला ने कहा, “बांग्लादेश के साथ भारत का रिश्ता और साझेदारी सहयोग, दोनों पक्षों को लाभ और एक-दूसरे के सम्मान पर आधारित है। साथ ही, दोनों देशों के लोगों का आपसी संपर्क मायने रखता है।”

उन्होंने याद दिलाया कि जीवन के हर क्षेत्र को छूने वाले 111 समझौते बीते दस सालों में भारत व बांग्लादेश के बीच हुए हैं। 2019 में बांग्लादेश में होने वाले संसदीय चुनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है। हमें उम्मीद है कि वहां निष्पक्ष चुनाव होंगे।

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