नतीजों के बाद बेवजह ही खुश है भाजपा, ये तस्वीर डाल देगी खलल
लखनऊ। निकाय चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। शहर की सरकार चुनी चा चुकी है। यूपी भगवा रंग में रंग चुका है। भारतीय जनता पार्टी जश्न में डूबी है। नतीजे सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी की लहर बरकरार रहने का दावा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं बंपर जीत का दावा किया। लेकिन अब एक अलग ही असलियत सामने आ रही है। जो बीजेपी के खुशियों में खलल डाल देगी।
परिणामों के बाद आंकलन किया जाए तो तस्वीर भाजपा के फेवर में सिर्फ दूर से है। तस्वीर को करीब से देखने पर भाजपा उससे ही कोसों दूर है। 2012 में हुए निकाय चुनाव में भी भाजपा ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी। इस बार भी वैसा ही रहा। लेकिन ये जीत वैसी है ही नहीं जैसी मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में थी। विधानसभा चुनाव में तो भाजपा शहर से लेकर गांव की गली-गली तक थी, लेकिन इस बार निकाय चुनाव में शहरों तक ही सीमित रही।
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इस बार हुए निकाय चुनाव में तो भाजपा ने 16 में से 14 नगर निगम सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर भी पार्टी की परमोर्फेंस पहले से और बेहतर हुई है।
खास बात ये है कि नगर निगम जहां बीजेपी ने तकरीबन आधी सीटें जीत लीं वहां ईवीएम से वोटिंग हुई जबकि नगर पंचायत और नगर पालिका में वोटिंग के लिए मतपत्रों का इस्तेमाल किया गया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसपर ट्वीट कर सवाल उठाया।
BJP has only won 15% seats in Ballot paper areas and 46% in EVM areas.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 2, 2017
नगर पालिका वार्ड और नगर पंचायत वार्ड की बात की जाए तो परिणाम थोड़ा चौंकाने वाले हैं। सूबे में नगर पालिका के 5261 वार्डों में चुनाव हुए, जिनमें से बीजेपी के सिर्फ 17.51% उम्मीदवार ही जीत पाए। जबकि 64.21% वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
इसके अलावा नगर पंचायत की बात की जाए तो बीजेपी का प्रदर्शन यहां और भी कमजोर रहा है। नगर पंचायत सदस्य के लिए 5446 वार्ड में चुनाव हुए और इनमें से 664 पर ही भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे। यानी बीजेपी को नगर पंचायत के 12.22% वार्डों में जीत मिली।
नगर पालिका परिषद सदस्य और नगर पंचायत सदस्यों का कुल आंकड़ा देखा जाए तो करीब 15 फीसदी वार्डों पर ही बीजेपी के उम्मीदवारों को जीत मिली है।
ये है वो तस्वीर जो बढ़ाएगी बीजेपी की टेंशन
नगर निगम पार्षद (कुल वार्ड-1300)
बीजेपी-596 (45.85%)
सपा- 202 (15.54%)
बसपा-147 (11.31%)
कांग्रेस-110 (8.46%)
इनके अलावा 17.23% सीटों पर निर्दलीय या अन्य उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।
नगर पालिका परिषद सदस्य (कुल वार्ड-5261)
बीजेपी-922 (17.51%)
सपा- 477 (9.07%)
बसपा-262 (4।98%)
कांग्रेस-158 (2.98%)
64.21% निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
नगर पंचायत सदस्य (कुल वार्ड-5446)
बीजेपी-664 (12.22%)
सपा- 453 (8.34%)
बसपा-262 (4.01%)
कांग्रेस-126 (2.32%)
71.29% वार्ड पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने बाजी मारी।
नगर निगम मेयर (कुल सीट-16)
बीजेपी-14 (87.5%)
बसपा-02 (12.5%)
सपा-0
कांग्रेस-0
नगर पालिका अध्यक्ष (कुल सीट-198)
बीजेपी-70 (35.3%)
बसपा-29 (14.6%)
सपा-45 (22.7%)
कांग्रेस-9 (4.5%)
निर्दलीय व अन्य- 45 (22.7%)
नगर पंचायत अध्यक्ष (कुल सीट-438)
बीजेपी-100 (22.83%)
सपा-83 (18.9%)
बसपा-45 (10.27%)
कांग्रेस-17 (3.8%)
निर्दलीय व अन्य-193 (44.06%)
यानी नगर निगम मेयर से लेकर पार्षद और नगर पालिका से लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष जैसे प्रमुख पदों पर बीजेपी ने परचम लहराया है। जबकि नगर पालिका और नगर पंचायत सदस्यों के लिए वार्डों में हुए चुनाव पर बीजेपी बड़ा स्कोर नहीं कर पाई है। हालांकि, ये भी एक तथ्य है कि बीजेपी अपने इस स्कोर के साथ भी सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली पार्टी है और सपा, बसपा समेत कांग्रेस तीनों प्रमुख दल उनसे पीछे हैं।