नई करेंसी में मोदी सरकार से बड़ी चूक, कोर्ट ने भेजा नोटिस

नई दिल्ली: बीते साल पीएम मोदी ने अचानक घोषणा कर बड़ी नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। बताया गया था कि इससे भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लग जाएगी। हालांकि नोटबैन से पहले का करीब सारा पैसा बैंकों में वापस पहुंच गया। आनन फानन में नई करेंसी भी जारी की। अलग-अलग रंग की। लेकिन नई करेंसी को लेकर सरकार से एक चूक हो गई, जिस पर कोर्ट की तरफ से नोटिस जारी कर दी गई है।

नई करेंसी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि दृष्टिबाधितों को सरकार द्वारा चलाए गए नए मुद्रा नोटों व सिक्कों के इस्तेमाल में दिक्कत हो रही है। अदालत ने इस बारे में केंद्र सरकार व भारतीय रिज़र्व बैंक को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर लोकहित वाला मामला है और इस पर गंभीरता से ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है।

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायाधीश सी. हरिशंकर की खंडपीठ ने कहा कि देश में अनेक दृष्टिबाधित लोगों को इन नए नोटों के साथ दिक्कत है। कई लोगों के साथ हमारी बातचीत में उन्होंने हमें बताया कि नोटों के आकार में बदलाव के कारण उन्हें बड़ी दिक्कत हो गई है।

अदालत ने इस मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक तथा केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस बारे में एक याचिका अदालत में दायर की गई है जिसमें मांग है कि नए नोटों को इस तरह डिजाइन किया जाए ताकि दृष्टिबाधित लोग उनकी पहचान कर सकें।

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सुनवाई में केंद्र सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से पेश हुए अधिवक्ता संजीव नरुला ने कहा कि इस याचिका को अभिवेदन के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता और न्यायालय द्वारा इसे ख़ारिज कर दिया जाना चाहिए। हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि इस स्तर पर याचिका को ख़ारिज नहीं किया जा सकता।

ऑल इंडिया कनफेडरेशन ऑफ ब्लाइंड नाम के एनजीओ की ओर से दाख़िल की गई याचिका में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद जारी किए गए दो हज़ार, पांच सौ, 200 और 50 के नए नोटों की पहचान, इस्तेमाल और लेन-देन में दृष्टिबाधित लोगों को गंभीर रूप से दिक्कत आ रही है।

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याचिका में यह भी दर्शाया गया है नए और पुराने नोटों के आकार में भिन्नता है। याचिकाकर्ता ने दस, पांच, दो और एक रुपये के सिक्कों में यह कहते हुए बदलाव की मांग की है कि ये सिक्के संरचना में लगभग एक समान हैं।

याचिका में कहा गया है कि, नई करेंसी लाते समय दृष्टिबाधितों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा गया। इसके अलावा कुछ नोट पर बने स्पर्श योग्य चिह्न भी मुश्किल से पहचान में आ पा रहे हैं।

याचिका में इन नए नोटों को एक तय समयसीमा में रद्द करने या फिर इन्हें बदलने का निर्देश अधिकारियों को देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि नए जारी हुए नोटों की वजह से दृष्टिबाधितों को रोज़मर्रा के वित्तीय कामों को ख़ुद करने में दिक्कत आ रही है। उन्हें इन नोटों और सिक्कों की पहचान के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

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