पढ़िए घोटालेबाज विक्रम कोठारी का इतिहास, ऐसे गटके हजारों करोड़

नई दिल्ली। रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर सात बैंकों से लगभग 3995 करोड़ रुपए की धांधली करने का आरोप लगा है। सोमवार को सीबीआई ने कोठारी को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही विक्रम के कानपुर स्थित आवास पर लगातार पिछले 20 घंटे से छापेमारी चल रही है। ऐसे में बैंकों से इतने बड़े घोटाले में संलिप्त विक्रम के बारें में देश का हर नागरिक ये जानना चाहता है कि आखिर इतनी बड़ी रकम कोठारी ने कैसे गटक ली?

विक्रम कोठारी

एक वक्त ऐसा था जब विक्रम के पिता अपना पेट पालने के लिए कानपुर की सड़को पर साइकिल से पान मसाला बेचा करते थे। देखते-देखते उनका पान पराग लोगों के जुबान पर छा गया, जिसका कारोबार अब विक्रम के बड़े भाई दीपक कोठारी कर रहे हैं।

कोठारी परिवार तब रुपयों से मजबूत हुआ जब उनके पिता मनसुख कोठारी ने 60 के दशक में पारले प्रॉडक्ट्स का कानपुर क्षेत्र का डिस्ट्रिब्यूशन लिया। इस बीच, कानपुर में पान मसाले के पहले ब्रैंड टबादशाह पसंद’ के बंद होने के बाद ‘पान बहार’ को टक्कर देने के लिए मार्केट में ‘पान पराग’ उतारा गया।

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मनसुख के पान पराग ने सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि अमेरिका और यूरोप में भी काफी धूम मचाई। पान पराग के बढ़ते कारोबार ने कोठारी परिवार को बुलंदियों तक पहुंचा दिया। इस बीच पान मसाले के साथ-साथ रोटोमैक पेन और यस मिनरल वॉटर लॉन्च किया गया।

इस मुकाम को हासिल करने के बाद कोठारी परिवार पर रुपयों को लेकर अनबन शुरू हो गई। साल 2000 में ये परिवार टूट गया। वहीं लोगों का कहना है कि बंटवारें के वक्त मनसुख अपने बड़े बेटे के साथ थे। विक्रम को इस ग्रुप से 1,250 करोड़ रुपए की डील के साथ बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। परिवार से ठोकर खाने के बाद विक्रम ने स्टॉक मार्केट और रियल एस्टेट में भारी-भरकम निवेश किया जिसके बाद विक्रम की किस्मत बदल गई।

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जानिए धांधली के मामले में कैसे फंसे विक्रम कोठारी-

रोटोमैक कंपनी को 7 बैंकों ने लोन दिया था। विक्रम कोठारी पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया मुंबई शाखा की 485 करोड़, इलाहाबाद बैंक कोलकाता शाखा की 352 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा (लीड बैंक) की 600 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया की 1365 करोड़ और इंडियन ओवरसीज बैंक की 1000 करोड़ रुपए की बकाएदारी है।

बैंकों का आरोप है कि विक्रम कोठारी ने कथित तौर पर न तो लोन की रकम लौटाई  है और न ही ब्याज दिया है। इस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशानिर्देशों पर ऑथराइज्ड जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी ने 27 फरवरी 2017 को रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. को विलफुल डिफाल्टर (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाला) घोषित कर दिया। कमेटी ने लीड बैंक की पहल पर यह आदेश पारित किया था।

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