बंगाल ने किया ओडिशा का मन खट्टा, रसगुल्ले पर जमाया कब्जा

रसगुल्लानई दिल्ली। खाने में बेहद स्वादिष्ट रसगुल्ला काफी दिनों से विवादों का प्रतीक बना हुआ है। जी हां, रस से भरा रसगुल्ला को लेकर ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बीच विवाद चल रहा था, जिस पर अब पूर्ण विराम लगा दिया गया है।

दरअसल मंगलवार को आए फैसले में रसगुल्ले की आधिकारिक पहचान पश्चिम बंगाल के नाम हो गई है। इसके साथ ही बंगाल को अब रसगुल्ले के लिए भौगोलिक पहचान दे दिया गया है।

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रसगुल्ले को पश्चिम बंगाल के हक में पाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ट्वीटर के जरिए अपनी खुशी जताई। ममता ने ट्वीट में लिखा कि सभी के लिए खुशी की खबर है, हम काफी खुश और गर्व महसूस कर रहे हैं कि बंगाल को रसगुल्ले की भौगोलिक पहचान का टैग मिल गया है।

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में रसगुल्ला काफी प्रसिद्ध मिठाई है, लेकिन इस मामले पर पिछले दो साल से विवाद छिड़ा हुआ है, जिसपर आज विराम लगाया गया है। लड़ाई इस बात पर हो रही है कि रसगुल्ले का उत्पाद कहां से हुआ है ? ओडिशा से या फिर पश्चिम बंगाल से ?

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जानिए कैसे हुआ था ईजाद-

पश्चिम बंगाल के लोगों के तरफ से ये दावा किया गया था कि रसगुल्ला की खोज उनके राज्य से ही हुआ था। 1868 से पहले ही मशहूर मिठाई निर्माता नवीन चंद्र दास ने इसे बनाया था। लेकिन रसगुल्ला विवादों के कटघरे में तब आ गया जब ओडिशा की तरफ से इसके लिए टैग मांगा गया था।

दरअसल ओडिशा सरकार में मंत्री प्रदीप कुमार ने 2015 में ये दावा किया था कि रसगुल्ला ओडिशा का है और यह पिछले 600 साल से वहां है। इतना ही नहीं ओडिशा ने रसगुल्ले को भगवान जगन्नाथ के प्रसाद से भी जोड़ा दिया था। उनका कहना था कि रसगुल्ला के इस्तेमाल पिछले 300 साल से पुरी की रथयात्रा में भी हो रहा है।

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