रील लाइफ की रियल कहानियां Publish कर अब #MeToo खोल रहा सियासत का राज

रिपोर्ट- विप्लव अवस्थी

दिल्ली। मी टू कैंपेन आजकल खूब चर्चा में है। इस कैंपेन में महिलाएं अपने साथ वर्कप्लेस पर होने वाले व्यवहार को सामने ला रही हैं, कि किस तरह के माहौल में उनको काम करना पड़ रहा है। कैसी कैसी दिक्कतें आ रही हैं या आ चुकी हैं। इस कैंपेन के जरिए अपने साथ होने वाली घटनाओं के बारे में महिलाएं सोशल मीडिया में लिख रही हैं। इसी बीच मी टू कैंपेन में आरोपी बने विदेश राज्यमंत्री ने निचली अदालत में अवमानना का केस दाखिल करके सभी आरोपों को बेबुनियाद  बताया है। जिस पर मंगलवार को सुनवाई हो सकती है।

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फिल्मी एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता के अभिनेता नाना पर सेक्सुअल हर्रेसमेंट के आरोप लगाने के बाद तो एक के बाद एक नए आरोप सामने आ चुके हैं,फिल्मी हस्ती हो या राजनेता या पत्रकार सब इस मी टू के आग से झुलसते रोज नजर आ रहे हैं, तमाम उम्र की महिलाओं ने मी टू कंपैन के लिए सोशल मीडिया को बड़ा हथियार बना लिया है, क्या नेता क्या अभिनेता सब इस मी टू कैंपेन से खुद को बचाते घूम रहे हैं, हालांकि कुछ मामलों को छोड़कर बहुत से मामलों में पुलिस को शिकायत नहीं दी गयी है, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से पीड़ित महिलाओं ने अपनी आवाज़ उठाना जारी रखा हुआ है, 2006 में अमेरिका से चालू हुए इस कंपैन ने 2017 में हिंदुस्तान में दस्तक दी और अब मीडिया, सोशल मीडिया, फ़िल्मी और राजनैतिक गलियारे इन्हीं खबरों से भरे हैं, हालांकि कानून के जानकार इसे इंसाफ दिलाने में पुलिस और अदालतों के विफल होने की बड़ी वजह मान रहे हैं।

यह कैंपेन अभी का नहीं है। इसकी शुरूआत 2006 में हुई थी। इस कैंपेन की शुरूआत हॉलीवुड से हुई थी। इसकी शुरूआत अमेरिकी सिविल राइट्स एक्टिविस्ट तराना बर्क ने की थी। भारत में मी टू कैंपेन शुरू होने के बाद से अब तक कई बड़ी बॉलीवुड हस्तियों के नाम इसमें सामने आ चुके हैं इनमें विकास बहल, चेतन भगत, रजत कपूर, कैलाश खैर, जुल्फी सुईद, आलोक नाथ, सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य, तमिल राइटर वैरामुथु और मोदी सरकार में मंत्री एमजे अकबर शामिल हैं। मी टू कंपैन की जद में मोदी सरकार के मंत्री M J akbar भी आ गए, अकबर पर बतौर संपादक करीब 9 महिलाओं के साथ यौन शोषण के गंभीर आरोप लगे हैं, हालांकि अकबर ने आरोपों से इनकार करते हुए अवमानना का केस दाखिल कर दिया है जिस में सभी आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है।

पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी से अपने बेटे को पिता कहलवाने का हक ले चुकी उज्जवला शर्मा इसे महिलाओं के लिए एक हद तक सही मानती है लेकिन उनका कहना है कि लड़ाई मर्यादा में लड़ी जाऐ वो ही सही तरीका है।

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फिल्मी हस्तियों के साथ पत्रकारिता के कुछ बड़े नाम भी सवालों के घेरे में है। हांलाकि वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सौरभ मानते हैं कि इस तरह के कैंपेन से महिलाओं के लिए सोच में फर्क निश्चित तौर पर पड़ेगा।

फिलहाल मी टू कैंपेन की आग में तमाम नामचीन हस्तियां फंसती और सफाई देती नजर आ रही है, लेकिन सवाल ये बना हुआ है कि जब इस तरह के मामलों से निपटने के लिए कानून साफ बना हुआ है।

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