जानिए क्यों ओडिशा की ये महिलाएं पिछले 50 सालों से कर रही हैं लाखों पेड़ों की रक्षा

कहते हैं कि अभी और ज्यादा दिन तक अपनी पृथ्वी और अपने जीवन को सुरक्षित रखना है तो जमकर पेड़ लगाओ, उनको नुकसान मत पहुंचाओ। इसके बावजूद लोग इसके विपरीत ही काम करते हैं। पेड़ लगाना तो दूर, उन्हेंप काटने से भी बाज नहीं आते। ऐसे में ओडिशा की ये महिलाएं इन लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनने का काम करेंगी। ये वो महिलाएं हैं जो पिछले 40 सालों से लाखों पेड़ों की रक्षा कर रही हैं। कैसे, जानिए यहां।

Protect trees

ऐसी है इनकी कहानी
ये कहानी है ओडिशा के बलरामपुर गांव की। इस गांव में रहने वाली 70 वर्षीय चतूरी साहू पिछले 40 सालों से पेड़ों की कटाई रोकने के लिए चिपको आंदोलन चला रही हैं। बता दें कि ये इन्हींक की मुहिम है, जिसके चलते आज इस गांव के जंगल सुरक्षित हैं। ये महिलाएं पिछले कुछ दशकों में हज़ारों पेड़ों को कटने से बचा चुकी हैं। इस गांव की महिलाओं का कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए हम किसी को भी अपने जंगलों को काटने की इज़ाज़त नहीं देंगे।

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ये हैं इनकी प्रमुख
इन महिलाओं में प्रमुख हैं 70 वर्षीय चतूरी साहू। चतूरी पिछले कई सालों से लकड़ी के माफ़ियाओं से झींकरगाडी के जंगलों को बचाने के लिए दिन रात मुहिम चला रही हैं। इस मुहीम में उनके साथ गांव की सैकड़ों महिलाएं भी साथ दे रही हैं। इस बारे में चतूरी कहती हैं कि ये जंगल हमारी ज़िंदगी हैं, हम पिछले कई सालों से शराब माफ़ियाओं से अपने इन जंगलों की रक्षा कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।

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फिर भी लेती हैं मुहिम में हिस्सा
लकड़ी माफ़ियाओं से अपने गांव के जंगलों को बचाने के लिए दिन में ये महिलाएं जबकि रात के समय पुरुष जंगलों की रक्षा करते हैं। इस मुहिम में चतुरी साहू को उनके पति और बेटे का पूरा सहयोग मिलता हैं। 70 वर्षीय पूना खूंटिया नाम की एक अन्य महिला के पास पेड़ों की रक्षा के लिए परिवार में कोई पुरुष नहीं है, बावजूद इसके वो ख़ुद इस मुहिम में हिस्सा लेती हैं।

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