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नई दिल्ली। ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद से निपटने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया है और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकवादी संगठनों द्वारा हिंसा पर चिंता जताई है। लश्कर और जैश भारत में आतंकी हमलों में शामिल रहे हैं। ब्रिक्स देशों के नौवें सम्मेलन में पारित घोषणापत्र में ब्रिक्स देशों में हुए हमलों सहित दुनियाभर में हुए आतंकवादी हमलों की निंदा की गई।
घोषणापत्र में कहा गया, “हम आतंकवाद के सभी रूपों में निंदा करते हैं, यह चाहे कहीं भी हो और किसी के भी द्वारा किया जा रहा हो। आतंकवाद के किसी भी कृत्य का कोई औचित्य नहीं है।”
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ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इन देशों ने आतंक को परास्त करने के अफगानिस्तान के प्रयासों का समर्थन किया।
घोषणापत्र के मुताबिक, “हम इस क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर और तालिबान, आईएसआई, अलकायदा और इसके संबद्ध संगठन ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, टीटीपी और हिज्ब-उल-तहरीर द्वारा की गई हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हैं।”
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ब्रिक्स देशों का कहना है कि आतंकवाद करने वालों को और इसमें सहयोग देने वालों को, दोनों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
आतकंवाद को रोकने और इससे निपटने के लिए देशों की प्राथमिक भूमिका और जिम्मेदारी पर जोर दिया गया लेकिन साथ ही कहा गया कि देशों की संप्रभुता और उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का सम्मान करते हुए इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की भी जरूरत है।