जॉर्डन के शाह की मौजूदगी में बोले पीएम, विविधतापूर्ण विरासत है भारतीय गौरव की पहचान

नई दिल्ली: अनेकता में एकता भारत की पहचान रही है. अनेकों धर्मो, जातियों और विभिन्न समुदायों के गठजोड़ से भारत जैसे अनूठे देश का निर्माण होता है. दुनियाभर के मज़हब और मत भारत की मिट्टी में पनपे हैं. यहां की आबोहवा में उन्होंने ज़िन्दगी पाई, साँस ली. चाहे वह 2500 साल पहले भगवान बुद्ध हों या पिछली शताब्दी में महात्मा गांधी. अमन और मुहब्बत के पैग़ाम की ख़ुशबू भारत के चमन से सारी दुनिया में फैली है.पीएम मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी ने आज विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में जॉर्डन के शाह की मौजूदगी में लोगों को संबोधित किया. पीएम मोदी इस्लामिक हेरिटेज के मुद्दे पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि आपका वतन और हमारा दोस्त देश जॉर्डन इतिहास की किताबों और धर्म के ग्रंथों में एक अमिट नाम है. उन्होंने कहा कि जॉर्डन एक ऐसी पवित्र भूमि पर आबाद है जहां से ख़ुदा का पैग़ाम पैगम्बरों और संतों की आवाज़ बनकर दुनिया भर में गूंजा.

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पीएम मोदी ने कहा हर भारतीय को गर्व है अपनी विविधता की विशेषता पर. अपनी विरासत की विविधता पर, और विविधता की विरासत पर. चाहे वह कोई ज़ुबान बोलता हो. चाहे वह मंदिर में दिया जलाता हो या मस्जिद में सज़दा करता हो, चाहे वह चर्च में प्रार्थना करे या गुरुद्वारे में शबद गाये.

पीएम मोदी द्वारा कही गयी मुख्य बातें

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में  एक राजनैतिक व्यवस्था ही नहीं बल्कि समानता, विविधता और सामंजस्य का मूल आधार है.यह वो शक्ति है जिसके बल पर हर भारतीय के मन में आपने गौरवशाली अतीत के प्रति आदर है, वर्तमान के प्रति विश्वास है और भविष्य पर भरोसा है. हमारी विरासत और मूल्य, हमारे मज़हबों का पैगाम और उनके उसूल वह ताक़त हैं जिनके बल पर हम हिंसा और दहशतगर्दी जैसी चुनौतियों से पार पा सकते हैं.

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इंसानियत के ख़िलाफ़ दरिंदगी से हमला करने वाले शायद यह नहीं समझते कि नुकसान उस मज़हब का होता है जिसके लिए खड़े होने का वो दावा करते हैं.
भारत में हमारी यह कोशिश है कि सबकी तरक्की के लिए सबको साथ लेकर चलें क्योंकि साड़ी दुनिया की तकदीर हर शहरी की तरक्की से जुड़ी है और मुल्क की खुशहाली से हर एक की खुशहाली का जुड़ाव है.
मज़हब का मर्म अमानवीय हो ही नहीं सकता. हर पन्थ, हर संप्रदाय, हर परंपरा मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए ही है.हमारे युवा एक तरफ मानवीय इस्लाम से जुड़े हों और दूसरी तरफ आधुनिक विज्ञान और तरक्की के साधनों का इस्तेमाल भी कर सकें आज की सबसे ज्यादा ज़रूरत यही है.

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