कांचीमठ के शंकराचार्य को दी गई महासमाधि, अब विजयेन्द्र सरस्वती संभालेंगे जिम्मेदारी

कांचीपुरम। कांचीपुरम मठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार को यहां के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। श्रद्धालुओं के अंतिम दर्शन के लिए जयेंद्र सरस्वती का पार्थिव शरीर कांची मठ स्थित नंदवनम में रखा गया है। अंतिम संस्कार में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई। पलानीस्वामी समेत दक्षिण की कई बड़ी हस्तियां शामिल हो रहे हैं।

कांचीमठ के शंकराचार्य

शंकराचार्य के निधन के बाद अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भारी भीड़ लगी है। कल से लेकर आज तक लगभग 1 लाख लोग दर्शन करने के लिए आ चुके हैं। वहीँ विजयेन्द्र सरस्वती कांचीपुरम मठ के 70वें शंकराचार्य होंगे।

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कांची मठ के मैनेजर सुदर्शन ने कहा कि “बृहस्पतिवार सुबह से लोगों के सामने ही अंतिम संस्कार से जुड़ी प्रक्रिया को शुरू किया जायेगा। हिंदू साधुओं की परंपरा का पालन करते हुए बाद में उन्हें अंतिम रूप से उनके पूर्व पीठ के प्रमुख रहे चंद्रशेखर सरस्वती स्वामिगल के साथ उन्हें महासमाधि दी जायेगी”।

जानकारी के लिए बता दें कि कांचीपुरम मठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती डायबिटीज़ से पीड़ित थे और पिछले महीने सांस न आने की शिकायत पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां बुधवार को उनका निधन हो गया।

डॉक्टरों ने बताया कि हृदयाघात के कारण जयेंद्र सरस्वती का निधन हुआ। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को किया जाएगा। हिंदू साधुओं की परंपरा का अनुपालन करते हुए उनका पार्थिव शरीर मठ के आहाते में भी दफनाया जाएगा।

श्रद्धालुओं के अंतिम दर्शन के लिए जयेंद्र सरस्वती का पार्थिव शरीर कांची मठ स्थित नंदवनम में रखा गया है।

नंदवनम में ही चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामी के पास उनको महासमाधि प्रदान किया जाएगा। इस बीच विजयेंद्र सरस्वती को शंकराचार्य के रूप में मठ प्रमुख बनाया गया है।

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जयेंद्र सरस्वती का जन्म 18 जुलाई 1935 को पुराने तंजावुर जिले के इरुलनीक्की में हुआ था। चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामी ने उनको अपने वारिश के तौर पर उनका अभिषेक किया था। उनको 22 मार्च 1954 को जयेंद्र सरस्वती का पदनाम प्रदान किया गया था।

दक्षिण भारत में जयेंद्र सरस्वती के काफी अनुयायी हैं। उन्होंने केंद्र में अटल बिहारी बाजपेयी की अगुवाई में 1998 से 2004 के दौरान भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय रामजन्म भूमि विवाद में मध्यस्थ की भूमिका निभाने की बात कही थी।

पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की सरकार के दौरान 2004 में वह विवादों में आए और कांचीपुरम के वरदराज पेरुमल मंदिर के अधिकारी शंकर रमण की हत्या के आरोप में उनको गिरफ्तार किया गया।

इस मामले की सुनवाई तमिलनाडु से बाहर पुडुचेरी में हुई जहां अदालत ने 2013 में मठ के कनिष्ठ संत विजयेंद्र और 21 अन्य समेत उनको बरी कर दिया।

अगस्त 1987 में भी एक विवाद में उनका नाम आया जब जयेंद्र सरस्वती ने तत्काल मठ छोड़ने का फैसला लिया। कर्नाटक के कोडागू स्थित ताला कावेरी में 17 दिन बिताने के बाद वह मठ लौटे तो हजारों श्रद्धालुओं ने असीम श्रद्धा व उत्साह के साथ उनका स्वागत किया था।

उन्होंने जन कल्याण नामक सामाजिक संगठन की नींव डाली।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जयेंद्र सरस्वती के निधन पर शोक जताया।

कोविंद ने शोक जताते हुए ट्वीट कर कहा, “कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। हमारे देश ने एक आध्यात्मिक नेता और सामाजिक सुधारक खो दिया है। मेरी संवेदनाएं उनके असंख्य शिष्यों और अनुयायियों के साथ है।”

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प्रधानमंत्री मोदी ने शंकराचार्य के साथ अपनी एक पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए शोक जताया।

मोदी ने ट्वीट कर कहा, “श्री कांची कामकोटि पीठ के आचार्य जगद्गुरु पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य के निधन पर गहरा दुख हुआ। वह अपनी अनुकरणीय सेवा और नेक विचारों की वजह से लाखों भक्तों के दिलो-दिमाग में जीवित रहेंगे। उनकी आत्मा को शांति मिले।”

राहुल गांधी ने कहा कि वह कांची शंकराचार्य के निधन की खबर सुनकर दुखी हैं।

राहुल ने ट्वीट कर कहा, “मैं कांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य के निधन की खबर सुनकर दुखी हूं।”

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री एल।के। आडवाणी ने शोक जताते हुए कहा कि उन्होंने बाबरी मस्जिद विवाद पर हिंदू और मुसलमान समुदायों के बीच कटुता को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आडवाणी ने लिखित संदेश में कहा, “मुझे जयेंद्र सरस्वती स्वामी जी को बेहद करीब से जानने का सौभाग्य मिला। अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में राजग-1 के कार्यकाल के दौरान जब मैं गृहमंत्री था, हमारा संबंध मजबूत हुआ।”

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