PM मोदी ने राष्ट्रभाषा हिंदी में ली शपथ, काशी के विद्वानों की मांग को किया दरकिनार !…

नरेंद्र मोदी ने लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. गुरूवार को राष्ट्रपति भवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह में मोदी ने राजभाषा हिंदी में शपथ ली. उन्होंने काशी से आई देव भाषा संस्कृत में शपथ लेने की मांग को दरकिनार कर दिया.

गौरतलब है कि श्रीकाशी विद्वतपरिषद ने मोदी को पत्र भेजकर आग्रह किया था कि काशी के प्रतिनिधि होने के नाते वह देव भाषा संस्कृत में शपथ लें.

काशी विद्वत परिषद की मंगलवार को हुई बैठक के बाद परिषद के मंत्री डॉक्टर रामनारायण द्विवेदी ने उम्मीद जताई थी कि पीएम मोदी काशी के साहित्यकार, समाजसेवी और प्रबुद्ध जनों की इच्छा का सम्मान करते हुए देव भाषा में शपथ ग्रहण करेंगे.

उन्होंने इस आशय का पत्र शपथ पत्र के साथ वाराणसी के पीएमओ प्रभारी शिवशरण पाठक को मेल कर प्रधानमंत्री को काशी की जनभावनाओं का सम्मान करने की मांग किए जाने की जानकारी दी थी.

 

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी जिस भी राज्य में जाते हैं, वहां की क्षेत्रीय भाषा में संवाद करते रहे हैं. संघ के स्वंयसेवक होने के कारण वह संस्कृत भी बोलते हैं. ऐसे में काशी वासियों को विश्वास था कि वह अपने संसदीय क्षेत्र की जनांकांक्षा का सम्मान करते हुए संस्कृत में शपथ लेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

बता दें कि इससे पहले भी संस्कृत भाषा में शपथ ली गई है. सन 2014 में मोदी सरकार में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, जल एवं संसाधन मंत्री उमा भारती और चांदनी चौक से सांसद हर्षवर्धन ने संस्कृत भाषा में ही शपथ ली थी.

संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से किसी में भी शपथ ली जा सकती है. इनमें अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, उर्दू आदि भाषाएं शामिल हैं.

 

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