
एलन मस्क के स्वामित्व वाली सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ने वीकेंड में लॉन्च किया नया “अबाउट दिस अकाउंट” फीचर भारतीय राजनीतिक बहसों में विदेशी प्रभाव की पोल खोलने का काम कर रहा है। यह फीचर यूजर्स की इंटरनेट एक्टिविटी के आधार पर उनके देश और क्षेत्र को दिखाता है, भले ही उनकी बायो या इंट्रो में कुछ भी लिखा हो। साथ ही, यह बताता है कि यूजरनेम कितनी बार बदला गया—बार-बार बदलाव संदिग्ध व्यवहार का संकेत देता है।
इंडिया टुडे के विश्लेषण से पता चला है कि कई ऐसे एक्स अकाउंट्स, जो राजनीतिक नैरेटिव, प्रोपगैंडा और डिसइनफॉर्मेशन फैला रहे थे, वास्तव में पाकिस्तान या पश्चिम एशिया जैसे विदेशी स्थानों से संचालित हो रहे थे।
यह फीचर मुख्य रूप से समन्वित कैंपेन की जांच के लिए उपयोगी साबित हो रहा है, जैसे अमेरिका में MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) कैंपेन। भारतीय संदर्भ में, हजारों अकाउंट्स जो खुद को भारतीय नेटिजन बताकर किसान आंदोलन, एनआरसी-सीएए विरोध, संभल हिंसा और चुनाव जैसे संवेदनशील मुद्दों पर कैंपेन चला रहे थे, अब जांच के दायरे में हैं। कई यूजर्स ने पाया कि विदेशी (गैर-अमेरिकी) अकाउंट्स अमेरिकी बनकर MAGA चर्चाओं में हिस्सा ले रहे थे, और इंडिया टुडे के ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम के पिछले वर्षों के डेटासेट से क्रॉस-रेफरेंस पर भारतीय मुद्दों में भी यही पैटर्न उभरा।
फीचर कैसे काम करता है और क्या उजागर कर रहा है
- स्थान का खुलासा: एक्स अब बताता है कि अकाउंट किस देश या क्षेत्र से आधारित है। कई “भारतीय एक्टिविस्ट” अकाउंट्स वास्तव में यूएई, बांग्लादेश, यूके, यूएस, ऑस्ट्रेलिया या पाकिस्तान से चल रहे हैं। किसान विरोधी नैरेटिव फैलाने वाले या “साउथ वर्सेज नॉर्थ” विवाद भड़काने वाले अकाउंट्स विदेशी साबित हुए।
- यूजरनेम बदलाव: फीचर दिखाता है कि नाम कितनी बार बदला गया। उदाहरण के लिए, एक MAGA अकाउंट जो खुद को अमेरिकी बताता था, भारत से संचालित पाया गया और उसके नाम मार्च 2022 से चार बार बदले गए।
- क्षेत्रीय मास्क: कई अकाउंट्स फीचर लॉन्च होते ही “साउथ एशिया” जैसे अस्पष्ट लेबल पर स्विच कर गए, जो संदेह को और गहरा रहा है। यदि वे वास्तव में भारतीय हैं, तो “इंडिया” क्यों नहीं दिखा रहे?
एक्स के प्रोडक्ट हेड निकिता बियर ने इसे “ग्लोबल टाउन स्क्वायर की अखंडता सुनिश्चित करने का पहला कदम” बताया, जो डिसइनफॉर्मेशन से भरी प्लेटफॉर्म पर पारदर्शिता बढ़ाने का प्रयास है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी प्रभाव (रूस, चीन या मध्य पूर्व से) राजनीतिक अस्थिरता फैलाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है। भारत में, यह आइटी-सेल्स और क्रॉस-बॉर्डर नेटवर्क्स को उजागर कर रहा है, जो विभाजनकारी संदेश फैला रहे हैं।
भारतीय राजनीति पर प्रभाव
इंडिया टुडे के OSINT विश्लेषण से पुष्टि हुई कि कई अकाउंट्स जो खुद को स्थानीय बताकर प्रोपगैंडा चला रहे थे, विदेश से संचालित थे। उदाहरणस्वरूप, संभल हिंसा या चुनावी मुद्दों पर आक्रामक पोस्ट करने वाले हैंडल्स पाकिस्तान या पश्चिम एशिया से जुड़े मिले। एक्स पर चर्चा में यूजर्स ने कहा कि यह “एंटी-इंडिया नैरेटिव” का समन्वित हमला उजागर कर रहा है।
हालांकि, सभी विदेशी अकाउंट्स संदिग्ध नहीं—कई प्रवासी भारतीय वैध रूप से जुड़ते हैं। लेकिन राजनीतिक रूप से आक्रामक हैंडल्स जो अपनी उत्पत्ति छिपाते हैं, वे चिंता का विषय हैं। यह फीचर डिजिटल लोकतंत्र को मजबूत कर सकता है, लेकिन लंबे समय तक विदेशी हस्तक्षेप रोकने के लिए मजबूत नीतियां जरूरी हैं।





