पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनिर को 14 जून 2025 को वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के मौके पर होने वाली सैन्य परेड में शामिल होने का निमंत्रण मिला है।

इस दौरे ने भारत, पाकिस्तान और पाकिस्तानी प्रवासियों के बीच तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। मुनिर का यह दौरा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 79वें जन्मदिन के साथ मेल खाता है और इसमें वे अमेरिकी विदेश मंत्रालय व पेंटागन के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। न तो पाकिस्तान और न ही अमेरिका ने इस उच्च-स्तरीय सैन्य मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि की है। यह दौरा भारत-पाक तनाव के बीच हो रहा है, जो 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले (26 मृत) के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर से और गहराया है।
हाल ही में अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने एक कांग्रेस सुनवाई में पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी अभियानों में “शानदार साझेदार” बताया और ISIS-खुरासान के खिलाफ इस्लामाबाद के योगदान की सराहना की। कुरिल्ला और मुनिर पिछले दो वर्षों में तीन बार मिल चुके हैं, जो दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के मजबूत रिश्तों को दर्शाता है। दक्षिण एशिया विशेषज्ञ माइकल कुगलमैन ने संकेत दिया कि मुनिर का CENTCOM दौरा भी हो सकता है।
भारत में इस निमंत्रण की कड़ी आलोचना हुई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे “भारत के लिए बड़ा कूटनीतिक झटका” करार दिया, खासकर क्योंकि मुनिर ने पहलगाम हमले से पहले भड़काऊ बयान दिए थे। भारत ने हमले के बाद पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने के लिए 33 देशों और यूरोपीय संघ में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजकर आतंकवाद विरोधी कूटनीति तेज की है। मुनिर का अमेरिकी दौरा इन प्रयासों को कमजोर करने वाला माना जा रहा है।
पाकिस्तान में यह दौरा आंतरिक अशांति का कारण बना है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने 14 जून को वाशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। PTI के विदेश मामलों के सचिव सज्जाद बुरकी ने कहा कि व्हाइट हाउस को यह स्पष्ट करना होगा कि वर्तमान पाकिस्तानी सरकार के साथ कोई समझौता जनता को स्वीकार नहीं है। वाशिंगटन में पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदायों में विरोध के लिए पर्चे बांटे गए हैं।
इस दौरा का पृष्ठभूमि संदर्भ पहलगाम हमले और उसके बाद पुंछ, राजौरी, उरी, और कुपवाड़ा में सैन्य तनाव से जुड़ा है। भारत का ऑपरेशन सिंदूर और क्षेत्रीय अस्थिरता इस मुलाकात को और जटिल बनाते हैं। मुनिर का वाशिंगटन दौरा अमेरिका-पाकिस्तान सैन्य सहयोग, भारत की कूटनीतिक रणनीति और पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में उभर रहा है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक ध्यान का केंद्र बन गया है।