
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार, कुल 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम “अनकलेक्टेबल” कैटेगरी में रखे गए हैं, जिन्हें लिस्ट से हटाया जाएगा। यह कुल मतदाताओं का करीब 18.7% है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि अब कोई एक्सटेंशन नहीं मिलेगा और 31 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की जाएगी। फाइनल लिस्ट 28 फरवरी 2026 को आएगी।
किन कारणों से नाम कटे?
- करीब 1.25-1.26 करोड़ मतदाता स्थायी रूप से शिफ्ट हो चुके हैं (कई ने खुद BLO को जानकारी दी)।
- 46 लाख के करीब मृतक।
- 23-24 लाख डुप्लीकेट एंट्रीज।
- 84 लाख अनट्रेसेबल या एब्सेंट।
- 9.57 लाख ने फॉर्म जमा नहीं किए।
पिछले 14 दिनों में सिर्फ 2 लाख नए नाम जुड़े, जो प्रक्रिया की सख्ती दिखाता है।
लखनऊ-गाजियाबाद में सबसे ज्यादा असर
लखनऊ में करीब 12 लाख और गाजियाबाद में बड़ी संख्या में नाम कटे। दोनों जिलों से कुल कटे नामों का लगभग 30% हिस्सा इनका है। शहरी इलाकों में माइग्रेशन और डुप्लीकेट ज्यादा होने से असर अधिक।
अखिलेश यादव का BJP पर बड़ा ऐलान
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने X पर पोस्ट कर BJP पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि BJP में चल रहा घमासान का असल कारण SIR में 2.89 करोड़ नाम कटना है, जिसमें 85-90% BJP के अपने वोटर हैं।
अखिलेश ने गणित बताते हुए कहा:
- 85% मानें तो करीब 2.45 करोड़ (या 90% पर 2.60 करोड़) BJP वोटर प्रभावित।
- यूपी की 403 विधानसभा सीटों पर औसतन 61,000 वोट प्रति सीट कम।
- सवाल उठाया: “हर सीट पर 61,000 वोट कम होंगे, तो BJP सरकार बना पाएगी?”
उन्होंने BJP की ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर तंज कसते हुए कहा कि पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप और असंतोष बढ़ रहा है। BJP का महाभ्रष्टाचार और विद्रोह पार्टी को कमजोर कर रहा है। यह SIR प्रक्रिया BJP के लिए आत्मघाती साबित होगी।
अखिलेश ने ऐलान किया: “अब PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) सरकार बनेगी, जो सबको तरक्की और खुशहाली देगी।”
राजनीतिक विवाद
SIR लिस्ट सफाई का हिस्सा है, लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक साजिश बता रहा। पहले अखिलेश ने इसे “NRC इन डिस्गाइज” कहा था। BJP का कहना है कि यह फर्जी और डुप्लीकेट वोट हटाने की प्रक्रिया है। ड्राफ्ट के बाद दावे-आपत्तियां 30 जनवरी 2026 तक लिए जाएंगे।




