नोएडा फर्जी मुठभेड़: अपने ही बयानों पर घिरी यूपी पुलिस, असलियत… राम जाने

नोएडा: शहर में फर्जी मुठभेड़ कर यूपी पुलिस खुद को शाबाशी देने में लगी हुई है. इस कथित मुठभेड़ में पुलिस के अलग-अलग बयानों से पूरा प्रकरण संदेह के घेरे में आ गया है. मामले की पड़ताल करने के दौरान लगातार यूपी पुलिस की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

यूपी पुलिस

नोएडा में एक पुलिसकर्मी ने जीतेंद्र को गोली मारी थी जिसके बाद उसे अस्पिताल में भर्ती कराया गया है. उसकी हालत गंभीर बनी हुई है. इस मामले में जीतेंद्र के परिवार का आरोप है कि यह मामला जाति से संबंधित है और पुरस्कार पाने के लिए यह एनकाउंटर किया गया. हालांकि पुलिस ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है.

यूपी पुलिस उलझा रही मामला!

मामले में गतिरोध का दौर उस वक्त शुरू हो गया जब यूपी पुलिस की मामले में दो अलग-अलग विरोधाभासी कहानियां सामने आई. डीजीपी ऑफिस से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक जिम ट्रेनर और अन्य लोग आरोपी सब इंस्पेकक्टडर के साथ खाना खा रहे थे. इस दौरान आरोपी पुलिसकर्मी और जीतेंद्र यादव के बीच किसी बात को लेकर बहस शुरू हो गई जिसके बाद सब इंस्पेसक्टर ने जिम ट्रेनर को गोली मार दी.

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वहीं, इस मामले पर नोएडा के पुलिस चीफ का बयान पुलिस विभाग की बनाई इस कहानी से पर्दा उठा रहा है.

नोएडा के एसएसपी लव कुमार ने कहा कि कुछ लड़के पब्लिक प्लेस में खड़े होकर शराब पी रहे थे. वो कार में ऊंची आवाज में म्यूजिक सुन रहे थे. सतर्कता के लिहाज से सब इंस्पेक्टर वहां पहुंचे और उन्होंने शराब के नशे में धुत व्यक्ति को कार में बैठने को कहा. इसे लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी हुई. इसी बीच सब इंस्पेक्टर की पिस्तौल से गोली चली और जीतेंद्र यादव को लग गयी.

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ये दोनों ही बयान पुलिस महकमे की उपयोगिता और विश्वसनियता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं. मानवाधिकार आयोग ने पूरी घटना पर संज्ञान लेते हुए यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर इस मामले में ख़ुद दखल देने को कहा है. साथ ही छह हफ़्ते में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

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