यूक्रेन में इतने बड़े तादाद में गए छात्रों पर नीतीश कुमार ने जाताया आश्चर्य, कहा- यह एक राष्ट्रीय समस्या है

दिलीप कुमार

यूक्रेन एक छोटा सा देश हम भारतीयों के लिए कितना अहम है। इस विषय से एक आम भारतीय नागरिक अंजान था। अक्सर कर के जब रूस के नार्ड स्ट्रीम -2 पाईप लाइन की बात सामने आए तब यूक्रेन का थोड़ा बहुत चर्चा हो या फिर क्रिमिया विवाद को लेकर यूक्रेन का लोग चर्चा कर लेते थे।

रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला बोला और लोगों को विदेश मंत्रालय से पता चला कि हमारे 18000 नागरिक यूक्रेन में फंसे हैं। इन फंसे हुए नागरिकों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों का तादाद ज्यादा है। मेडिकल के पढ़ाई करने गए छात्रों के बारे में जानकर लोग दंग हो गए। वैसे तो भारत से पश्चिमी देशों में जाकर पढ़ाई करना लोगों के लिए सामन्य था, लेकिन यूक्रेन में जाकर मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के बारे में जानकर आम लोग आश्चर्यचकित हो गए।

आपको बता दें कि इतने तादाद में भारतीय छात्रों का यूक्रेन जाकर मेडिकल की पढाई करना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अचंभित कर दिया है। उन्होंने इस विषय का जिक्र करते हुए कहा कि यूक्रेन में छात्रों की इतनी बड़ी संख्या में जाकर पढ़ाई करना, यह एक राष्ट्रीय समस्या है। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय विचार विमर्श होने की जरूरत है।

सीएम नीतीश कुमार ने विधानसभा में अचरज जताते हुए कहा कि यूक्रेन में इतनी बड़ी संख्या में लोग पढ़ने जा रहे हैं! इस बारे में मुझे इतनी जानकारी नहीं थी कि यूक्रेन में इतनी बड़ी तादाद में छात्र जाकर पढ़ते हैं। उन्होंने अपन राज्य को गरीब बताते हुए बड़े आश्यर्य से जिक्र करते हुए कहा कि आर्थिक रूप से गरीब बिहार राज्य ही नहीं बल्कि अमीर राज्यों के विद्यार्थी भी वहां जाकर पढ़ाई कर रहे हैं। यह मामला बिहार का ही नहीं अपितु सारे राष्ट्र का है। इसका समधान राष्ट्रीय स्तर पर किये जाने की जरूरत है। यह राज्य का विषय नहीं है।

गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के युद्ध का आलम ये है कि युद्ध यूक्रेन में चल रहा लेकिन सनसनी भारत में फैली है। इसका मूल कारण यह है कि भारत से हाजारों के तादाद में यूक्रेन पढ़ाई करने गए हैं और युद्ध की विभिषिका में फंसे हुए हैं, जिन्हें भारत सरकार ऑपरेशन गंगा चलाकर वतन वापस ला रही है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध पिछले दस दिन से जारी है और छात्रों को निकालने का सिलसिला भी जारी है।

अभी भी यूक्रेन में बहुतायत छात्र भूख- प्यास और मौसम का संताप झेल रहे हैं। उधर सरकार दावा कर रही है कि वो तीव्रतम स्तर में भारतीय छात्रों को निकाल रही है लेकिन यूक्रेन से वापस लौटी एक छात्र ने बताया कि हमारे लिए यूक्रेन से वापस लौटना काफी जोखिम भरा था क्योंकि वहां हालत सामान्य नहीं है। उसने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि हम सो नहीं पाए, वहां आपातकाल की स्थिति बनी हुई है। बार्डर तक पहुंचने के लिए लगातार पैदल चलना पड़ा। भारतीय दूतावास की ओर इंगित करते हुए कहा कि वहां मेरा कोई मदद नहीं कर रहा है।

राहत भरा बात यह है की रूस और यूक्रेन बीच दूसरे दौर की वर्ता चल रही है, इस वार्ता को लेकर रूसी सरकार ने उम्मीद जताई है कि यह वार्ता सफल होगा।

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