धर्मेद्र प्रधान ने सु्झाया, युवाओं को पढ़ाई के साथ कमाई के साथ हुनर विकसित करने का मंत्र
नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने शनिवार को यहां कहा कि देश में युवाओं को रोजगारपरक व उत्पादक शिक्षा की जरूरत है, जिसके लिए कौशल विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी हो, जिसमें पढ़ाई के साथ-साथ कमाई करने के अवसर हों। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, “कौशल विकास का संबंध आंकाक्षाओं से है और युवाओं में उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप उनका कौशल विकास करने की आवश्यकता है। युवाओं में पढ़ाई के साथ-साथ कमाई करने का हुनर विकसित करने की जरूरत है।”
धर्मेद्र प्रधान यहां जयपुररिया स्कूल ऑफ बिजनेस की ओर से रोजगारपरक कौशल विकास के मसले पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे।
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उन्होंने जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई थी और एक दीवार खींच कर जर्मनी को दो भागों में बांट दिया गया था, लेकिन वहां की संस्कृति में कोई दीवार पैदा नहीं हुई और लोगों की आकांक्षाओं में कोई कमी नहीं दिखी, जिसके बदौलत आज प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जर्मनी आगे है।
प्रधान ने कहा, “हमें भी नवोन्मेषी संस्कृति विकसित करने और समाज की मांग के अनुरूप वैश्विक स्तर के नवाचार को बढ़ावा देने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बायोमास से बायोफ्यूल बनाने की योजना शुरू की है, जिसमें पर्यावरण संबंधी समस्याओं का समाधान करने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
मंत्री ने कहा, “इस योजना को अमलीजामा पहनाने के बाद पंजाब और हरियाणा में किसान पराली नहीं जलाएंगे और उससे दिल्ली की हवा दूषित नहीं होगी।”
उन्होंने कहा, “हमारे यहां बाढ़ से हर साल तबाही मचती है। इसलिए हमें बाढ़ प्रबंधन के लिए खुद को सक्षम बनाना होगा।”
इस मौके पर जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशन इंस्टीट्यूट के चेयरमैन शिशिर जयपुरिया ने कहा कि वह युवाओं को रोजगार परक शिक्षा प्रदान करने के लिए उनमें कौशल विकास पर विशेष ध्यान देते हैं, और इसके कारण उनके संस्थान से पास हुए छात्र-छात्राओं को नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ता है।
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जयपुरिया ने कहा, “हमारे प्रबंधन संस्थान के विद्यार्थियों का शतप्रतिशत प्लेसमेंट होता है। हम कौशल विकास पर विशेष रूप से ध्यान देते हैं, जिससे विद्यार्थियों में खुद का रोजगार पैदा करने की दक्षता हो।”
जयपुरिया स्कूल ऑफ बिजनेस के निदेशक एस. के. महापात्रा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “हम इस बात पर विशेष ध्यान देते हैं कि हर साल हमारे यहां से कम से कम पांच ऐसे पेशेवर निकलें, जो खुद अपना व्यवसाय खड़ा कर सकें और दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर सृजित करें।”
उन्होंने बताया कि उनके यहां से निकले पेशेवरों को ज्यादातर एफएमसीजी, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में नौकरियां मिल रही हैं।