जानिए नवरात्र और डांडिया का रिलेशन, आखिर क्यों खेला जाता है गरबा?
नई दिल्ली। नवरात्र का पर्व हो और गरबे की बात ना हो ऐसा कैसे हो सकता है। देवी मां के भक्तों के अंदर नवरात्र में एक अलग सा उत्साह छा जाता है। बता दें कि गरबा गुजरात का पारम्पारिक नृत्य है जो कि धीरे-धीरे पूरे देश में नवरात्रियों के दौरान बहुत ही उमंग के साथ खेला जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि नवरात्रि के दिनों में ही क्यों गरबा खेलने की रीवाज है? तो चलिए जानते है इसके पिछे का रहस्य-
-महिलाएं घट स्थापना से शुरु दीप गर्भ के स्थापित होने के बाद गरबा खेलती है। घट स्थापना गरबा की काफी मान्यता है।
-लोग घट स्थापना को पवित्र परंपरा से जोड़ते हैं और ऐसा माना जाता है कि यह नृत्य मां दुर्गा को काफी प्रिय है इसलिए नवारात्रि के दिनों में इस नृत्य के जरिए मां को प्रसन्न करने की कोशिश की जाती है। इसलिए घट स्थापना होने के बाद इस नृत्य का आरंभ होता है।
-गरबा दीपगर्भ को ही गरबा कहा जाता है इसलिए आपको हर डांडिया या गरबा खेलते वक्त महिलाएं सजे हुए घट के साथ दिखाई देती है। जिस पर दिया जलाकर इस नृत्य का आरंभ किया जाता है। यह घट दीपगर्भ कहलाता है और दीपगर्भ ही गरबा कहलाता है।
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क्यों करते है गरबे में तीन ताली का उपयोग-
क्यों किया जाता है तीन ताली का उपयोग आपने देखा होगा कि जब महिलाएं समूह बनाकर गरबा खेलती हैं तो वे तीन तालियों का प्रयोग करती हैं। इसके पीछे भी एक महत्वपूर्ण कारण विद्यमान है। क्या कभी आपने सोचा है गरबे में एक-दो नहीं वरन् तीन तालियों का ही प्रयोग क्यों होता है? ब्रह्मा, विष्णु, महेश, देवों की इस त्रिमूर्ति के आसपास ही पूरा ब्रह्मांड घूमता है। इन तीन देवों की कलाओं को एकत्र कर शक्ति का आह्वान किया जाता है।