Navratri 2018: आज से हो रहा है मां दुर्गा का आगमन, जानें नवरात्रि का महत्व और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

शक्ति की परिकाष्ठा भगवती मां दुर्गा की उपासना आराधना आज से शुरू हो रही है। नवरात्रि को आप दुर्गापूजा के नाम से भी पुकार सकते हैं। नवरात्रि का त्योहार हिंदुओं के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इस साल यह त्योहार 10 अक्टूबर यानि कि आज से मनाया जा रहा है। इस त्योहार की पूरे भारत में धूम रहती है। लोग पूरे साल इस त्योहार का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। साल में दो बार नवरात्रिस पड़ती हैं, जिन्हें चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। जहां चैत्र नवरात्र से हिन्दू वर्ष की शुरुआत होती है वहीं शारदीय नवरात्र अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।

भगवती मां

इस साल पहला और दूसरा नवरात्र दस अक्तूबर को है। दूसरी तिथि का क्षय माना गया है। अर्थात शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना एक ही दिन होगी। इस बार पंचमी तिथि में वृद्धि है। 13 और 14 अक्तूबर दोनों दिन पंचमी रहेगी।

नवरात्रि का महत्‍व

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। माना जाता है कि नवरात्रि के नौ रूपों का ही अपना अलग महत्व है। यह त्योहार संदेश देता है कि झूठ और फरेब कितना भी ताकतभर क्यों ना हो लेकिन सच्चाई के सामने छुकता जरूर है। नवरात्रि के नौ दिनों की ही विशेष महत्वता है। इन दिनों लोग मां के नौ रूपों की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। माना जाता है कि जो भी मां की सच्चे दिल से अराधना करता है उसे किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है।

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क्यों मनाई जाती है नवरात्रि और दुर्गा पूजा?

नवरात्रि और दुर्गा पूजा मनाए जाने के अलग-अलग कारण हैं। मान्यैता है कि देवी दुर्गा ने महिशासुर नाम के राक्षस का वध किया था। बुराई पर अच्छारई के प्रतीक के रूप में नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा की जाती है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि साल के इन्हीं  नौ महीनों में देवी मां अपने मायके आती हैं। ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा उत्साव के रूप में मनाया जाता है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

इस बार कलश स्था्पना का शुभ मुहूर्त आज सुबह 6 बजकर 25 मिनट से 7 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। कुल अवधि 1 घंटा है।

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नवरात्र की तिथियां

प्रतिपदा /  द्वितीया – 10 अक्तूबर – माँ शैलपुत्री माँ ब्रह्मचारिणी

तृतीया – 11 अक्तूबर – माँ चन्द्रघण्टा

चतुर्थी – 12 अक्तूबर – माँ कुष्मांडा

पंचमी – 13 अक्टूबर – माँ स्कंदमाता

पंचमी – 14 अक्तूबर – माँ स्कंदमाता

षष्टी – 15 अक्तूबर – माँ कात्यायनी

सप्तमी – 16 अक्तूबर – माँ कालरात्रि

अष्टमी – 17 अक्तूबर – माँ महागौरी (दुर्गा अष्टमी)

नवमी – 18 अक्तूबर – माँ सिद्धिदात्री (महानवमी)

दशमी- 19 अक्तूबर- विजय दशमी (दशहरा)

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