मोदी को नोटबंदी का सुझाव देने वाले के बदले सुर, बोले- ऐसे तो बदल जाएगी सरकार

मोदी सरकारनई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जिसके बूते अब तक का सबसे बड़ा फैसला लिया और एक बार फिर से केंद्र में सरकार बनाने के सपने तक देख रही है। उसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे बड़ा झटका दे दिया है। दरअसल पीएम मोदी को नोटबंदी का सुझाव देने वाले अर्थक्रांति संस्था के संचालक और अर्थिक मामलों के विशेषज्ञ अनिल बोकिल के सुर अब बदल गए हैं।

बोकिल का कहना है कि मेरा ताल्लुक तो एक एनजीओ से है ऐसे में नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों से देश को क्या नुकसान होगा या क्या फायदा होगा यह देखना सरकार का काम है न कि मेरा। उन्होंने तो यहां तक कह डाला कि इस फैसले को एक साल बीतने वाला है और अगर देश की जनता को मोदी सरकार का ये फैसला समझ में आया तो ही वह केंद्र में टिक पाएगी नहीं तो उसे बाहर का रास्ता देखना पड़ेगा और अगले चुनाव में सरकार बदल जाएगी।

बोकिल ने भिलाई में आयोजित एक कार्यक्रमें के दौरान इन बातों का जिक्र किया। गौरतलब है कि एक ओर जहां पीएम मोदी द्वारा लिए गए इस फैसले को एक साल बीतने को आ रहा है वहीं दूसरी ओर बोकिल का इस मामले को लेकर यह बयान देना सरकार के पसीने छुड़ाने वाला है।

गतल तरह से लागू हुआ फैसला

बोकिल ने कहा कि पीएम मोदी के इस फैसले के बाद देश में हर तरफ अफरा तफरी और भागा दौड़ी इसलिए मची क्योंकि सरकार ने नोटबंदी का वैसा मॉडल नहीं लांच किया जैसा उसे बताया गया था। उन्होंने पीएम मोदी से चुटकी लेते हुए कहा कि हमने तो उन्हें जनता को नोटबंदी की छोटी गोली देने की बात कही थी लेकिन डॉक्टर साहब (पीएम मोदी) ने तो जनता को एक बार में ही बड़ी गोली थमा दी। जिसे जनता हजम नहीं कर पाई।

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बोकिल ने बताया कि सरकार ने नोटों को एक साथ बंद करने के बजाए टुकड़ों में बंद करने की बात कही थी और इसी फैसले पर सहमति भी बनी थी लेकिन जैसा कहा गया था वैसा नहीं हुआ।

कैशलेस बनाने के चक्कर में टैक्स का भार

बोकिल ने कहा कि पीएम मोदी ने नोटबंदी कर देश की जनता को डिजिटल ट्रांजेक्शन करने की बात कही लेकिन उसने इस पर लगने वाले टैक्स का भार भी जनता पर डाल दिया और तो और कैशलेस ट्रांजेक्शन के टैक्स का भार आम जनता के साथ साथ व्यापारियों पर भी डाल दिया। अब सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर कैशलेस होने का टैक्स सरकार या बैंक को क्यों दिया जाए।

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जनता पर जबरन थोप रही अपना फैसला

इसके बाद उन्होंने सरकार के दूसरे सबसे बड़े फैसले वस्तु और सेवा कर को लेकर भी पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा किया। एक तरफ सरकार अपने इस फैसले को सफल बताते हुए यह कह रही है कि जीएसटी को विश्व के 126 देशों में पहले ही लागू किया जा चुका है लेकिन उसने सबसे बड़ा सच अभी तक छिपाए रखा वो ये कि उन देशों की जनसंख्या भारत के सामने कुछ भी नहीं। ऐसे में उन देशों में भारत की अपेक्षा यह टैक्स बेहद आसान तरीके से लागू किया जा सका लेकिन सरकार अपने इस फैसले को जबरन देशवासियों के ऊपर थोपने का काम कर रही है।

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