जिसके साथ पूरे देश की पसंद बने पीएम मोदी, वहीं न उतरी शाह के गले !

मोदी और शाह की जोड़ीनई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की धुरंधर जोड़ी के जलवे से तो पूरा देश वाकिफ है। यह भी माना जाता है कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और बिना राय कोई भी कदम आगे नहीं बढ़ाते। लेकिन कई बार अमित शाह के कुछ फैसले इस बात के विपरीत जान पड़ते हैं। हाल ही में एक ऐसा प्रकरण सामने आया जिसने एक बार फिर लोगों को इस बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया।

बता दें बात कर रहे हैं 26 नवंबर को आयोजित पीएम मोदी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ की। ये 38वीं बार था जब देश के प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के माध्यम से देश से जुड़ने की कोशिश की।

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वैसे तो यह कार्यक्रम देश की जनता से सीधे अपनी बात रखने के लिए पीएम मोदी द्वारा शुरू किया गया था। पर गुजरात चुनावों की वजह से इस बार ‘मन की बात’ को चुनावी रंग देकर देखा गया।

अब बिना प्रकरण से भटके बात करते हैं अमित शाह की, तो ये भी बताना लाजमी था क्योंकी इसी कार्यक्रम के दौरान ही वह बात सामने आई, जिसमें मोदी और शाह की राय कुछ जुदा जान पड़ी।

अहमदाबाद के दरियापुर इलाके के तंबु चौकी पर शाह बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर ‘मन की बात’ सुन रहे थे। ये ‘मन की बात’, चाय के साथ थी तो सुनने वालों को चाय भी परोसी गई।

जानकारी के मुताबिक़ ये चाय 100 साल पुरानी दुकान अम्बिका टी स्टाल से बनवाई गई थी। बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तो चाय पी, लेकिन वहां मौजूद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने चाय नहीं पी।

गुजरात के 50 हजार से ज्यादा बूथों पर बीजेपी ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, धर्मेंद्र प्रधान, स्मृति ईरानी, उमा भारती, जुएल ओराव, पुरुषोत्तम रूपाला, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष जीतू वघानी, मुख्यमंत्री विजय रुपानी, सांसद परेश रावल के साथ ही गुजरात के कई मंत्री, विधायक और सांसद शामिल थे।

अहमदाबाद मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष ने चाय पीने से मना कर दिया था। उनके लिए चाय की जगह पर ब्लैक कॉफी मंगवाई गई थी।

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ख़ास यह था कि ब्लैक कॉफी स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता के घर तैयार करवाई गई थी। जब बीजेपी अध्यक्ष ने खुद ही चाय नहीं पी तो और लोगों ने कितनी चाय पी होगी और पीएम मोदी की कितनी बात सुनी होगी, ये भी एक जुमला ही है।

ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री मोदी के हर आदमी के खाते में 15 लाख रुपए आने के वादे को जुमला करार देने वाले भी अमित शाह ही थे।

अब भाजपा अध्यक्ष को चाय नहीं पसंद जिसके कारण उन्होंने ‘मन की बात-चाय के साथ’ कार्यक्रम के दौरान भी उन्होंने अपने लिए ब्लैक काफी को ज्यादा महत्व दिया या फिर इसका कुछ और कारण है। इस बारे में अब सिर्फ अटकलें ही लगाई जा सकती हैं। असल मामला क्या है… इसका जवाब तो पूरी सुनिया में एक ही शख्स दे सकता है, वो हैं खुद शाह जी।

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