राजकीय बाल गृह में बच्चे के साथ दुष्कर्म, पुलिस प्रशासन पर उठ रहे सवाल

लोकेश टंडन

मेरठ। बिहार के मुजफ्फरपुर और यूपी के देवरिया कांड के बाद अब राजकीय बाल गृह में बच्चों से घिनौनी वारदातों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला मेरठ का है। जहां पर थाना नौचंदी क्षेत्र स्थित राजकीय बाल गृह में एक संविदा कर्मचारी ने मासूम बच्चे के साथ कुकर्म की वारदात को अंजाम दे डाला।

मेरठ

आरोप है कि संविदा कर्मी ने जान से मारने की धमकी देकर कई बार इस घिनौनी करतूत को अंजाम दिया। जिला प्रशासन ने आरोपी को जेल भेज दिया और मामले में जांच बैठा दी है।

मेरठ के बाल गृह में आये इस मामले के सामने आने पर हड़कंप मचा हुआ है। जब हद हो गई तो पीड़ित बच्चे ने इसकी शिकायत की। बाल गृह में महापाप की इस करतूत के खुलासे से हड़कंप मच गया। आनन-फानन में पूरे मामले पर मजिस्ट्रियल जांच भी सेटअप कर दी गई है।

हालांकि, प्रशासन ने फजीहत से बचने के लिए इस पूरे मामले को 7 दिन तक दबाए रखा। गुपचुप तरीके से थाना नौचंदी में मुकदमा दर्ज कर के आरोपी को जेल भेज दिया गया। इतना ही नहीं इस पूरे मामले पर थाना पुलिस और बाल गृह से जुड़े अधिकारी कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।

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फिलहाल, प्रशासन ऐसे मामले ना हो इस पर अपना फोकस जमाए हुए है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि देवरिया कांड के बाद सीएम ने डीएम को खुद जाकर बाल संरक्षण गृह और महिला संप्रेक्षण गृह में जांच के निर्देश दिए थे।

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लेकिन उसके बावजूद भी मेरठ के बाल गृह में इस तरह का मामला सामने आया है। और प्रशासन ने फजीहत से बचने के लिए पूरे मामले पर पर्दा डाले रखा।

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