मिग-21 की विदाई: 1965 और 1971 युद्धों से बालाकोट तक, छह दशकों की सेवा के बाद आकाश का योद्धा लेगा अंतिम उड़ान

भारतीय वायुसेना (IAF) आज, 26 सितंबर 2025 को, अपने सबसे प्रतिष्ठित लड़ाकू विमान मिग-21 को चंडीगढ़ में एक भव्य समारोह के साथ विदाई दे रही है। 1963 में पहली बार शामिल किए गए इस रूसी मूल के सुपरसोनिक विमान ने 62 वर्षों तक भारत के आकाश की रक्षा की और 1965, 1971, कारगिल, और 2019 के बालाकोट हमले जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में अपनी वीरता का परचम लहराया।

मिग-21, जिसे भारतीय वायुसेना का “रीढ़” माना जाता है, अब स्वदेशी तेजस मार्क-1ए और मार्क-2 विमानों के लिए जगह छोड़ रहा है। इसकी अंतिम उड़ान नंबर 23 स्क्वाड्रन “पैंथर्स” द्वारा चंडीगढ़ में की जाएगी, जहां इसे 1963 में पहली बार शामिल किया गया था।

मिग-21 का गौरवशाली इतिहास

मिग-21, जिसे सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो ने 1950 के दशक में डिज़ाइन किया था, भारत का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था। 1963 में स्क्वाड्रन लीडर (बाद में एयर चीफ मार्शल) दिलबाग सिंह ने चंडीगढ़ में इसकी पहली स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया। भारत ने कुल 874 मिग-21 विमानों को शामिल किया, जिनमें से कई हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा लाइसेंस के तहत निर्मित किए गए। इसके विभिन्न वेरिएंट्स, जैसे टाइप 77, टाइप 96, और बाइसन, ने भारतीय वायुसेना को कई दशकों तक ताकत प्रदान की।

प्रमुख युद्धों में भूमिका

  • 1965 भारत-पाक युद्ध: मिग-21 ने पहली बार इस युद्ध में हिस्सा लिया, हालांकि सीमित भूमिका में, क्योंकि भारतीय पायलट अभी इसे संचालित करने में प्रशिक्षण ले रहे थे। फिर भी, इसने पाकिस्तानी सैबर विमानों के खिलाफ अपनी क्षमता दिखाई। विंग कमांडर दिलबाग सिंह ने एक सैबर को निशाना बनाया, लेकिन शुरुआती मिग-21 F-13 में तोप की कमी के कारण वह चूक गए।
  • 1971 बांग्लादेश मुक्ति युद्ध: मिग-21 ने इस युद्ध में अपनी वास्तविक ताकत दिखाई। 14 दिसंबर 1971 को मिग-21 ने ढाका के गवर्नर हाउस पर बमबारी की, जिसने पाकिस्तानी नेतृत्व का मनोबल तोड़ दिया। इस हमले के अगले दिन गवर्नर ने इस्तीफा दे दिया, और 16 दिसंबर को पाकिस्तान ने 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। यह मिग-21 का स्वर्णिम क्षण था।
  • 1999 कारगिल युद्ध: मिग-21 ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में करीबी हवाई सहायता प्रदान की, जिसने भारतीय सेना की जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • 2019 बालाकोट हवाई हमला: 26 फरवरी 2019 को भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर मिराज विमानों से हमला किया। अगले दिन, पाकिस्तानी वायुसेना के F-16 विमानों ने जवाबी कार्रवाई की। इस दौरान, विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान ने मिग-21 बाइसन से एक पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया, जिसके लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया। हालांकि, उनका विमान भी दुर्घटनाग्रस्त हो गया, और उन्हें पाकिस्तान ने बंदी बना लिया था, लेकिन बाद में भारत की कूटनीति से उनकी रिहाई हुई।
  • 2025 ऑपरेशन सिंदूर: हाल ही में, मिग-21 ने ऑपरेशन सिंदूर में भी भाग लिया, जिसने इसकी आधुनिक युद्धों में प्रासंगिकता को फिर साबित किया।

विवाद और “फ्लाइंग कॉफिन” उपनाम

मिग-21 का इतिहास जितना गौरवशाली रहा, उतना ही विवादास्पद भी। 1963 से अब तक 400 से अधिक मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए, जिसमें 200 से अधिक पायलट, 39 नागरिक, और अन्य कर्मियों की जान गई। पुरानी तकनीक, इंजन की विफलता, और रखरखाव की चुनौतियों के कारण इसे “फ्लाइंग कॉफिन” का अनौपचारिक नाम मिला। फिर भी, विशेषज्ञों का कहना है कि मिग-21 को भारतीय परिस्थितियों में अनुकूलित करने और इसे आधुनिक युद्धों में प्रभावी बनाए रखने का श्रेय भारतीय वायुसेना और HAL को जाता है।

विदाई समारोह

26 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर मिग-21 की आधिकारिक विदाई होगी। इस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह मौजूद रहेंगे। समारोह में निम्नलिखित कार्यक्रम होंगे:

  • फ्लाइपास्ट: मिग-21 के “बादल” (तीन विमानों की) और “पैंथर” (चार विमानों की) फॉर्मेशन में अंतिम उड़ान, जिसका नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा करेंगी। एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह “बादल 3” कॉल साइन के साथ उड़ान भरेंगे।
  • जगुआर और सूर्यकिरण प्रदर्शन: मिग-21 और जगुआर के बीच एक मॉक डॉगफाइट होगी, जो 2019 के बालाकोट हमले की याद दिलाएगी। सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम भी अपने करतब दिखाएगी।
  • वॉटर कैनन सलामी: मिग-21 को तarmac पर वॉटर कैनन सलामी दी जाएगी।
  • फॉर्म 700 हैंडओवर: वायुसेना प्रमुख मिग-21 के रखरखाव लॉगबुक (फॉर्म 700) को रक्षा मंत्री को सौंपेंगे, जो इसकी सेवाओं के आधिकारिक समापन का प्रतीक होगा।
  • डाक टिकट और स्मृति चिन्ह: मिग-21 की विरासत को सम्मानित करने के लिए एक स्मारक डाक टिकट जारी किया जाएगा।
  • आकाश गंगा प्रदर्शन: IAF की स्काईडाइविंग टीम आकाश गंगा 8,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाएगी।

24 सितंबर को चंडीगढ़ में फुल ड्रेस रिहर्सल हुई, जिसमें मिग-21, जगुआर, और सूर्यकिरण ने शानदार प्रदर्शन किया। इस दौरान वायुसेना के दिग्गजों, परिवारों, और गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।

मिग-21 की विरासत और भविष्य

मिग-21 ने न केवल युद्धों में भारत की हवाई ताकत को मजबूत किया, बल्कि हजारों पायलटों को प्रशिक्षित करने और HAL के माध्यम से स्वदेशी विमान निर्माण को बढ़ावा देने में भी योगदान दिया। इसके रिटायर होने से IAF की स्क्वाड्रन संख्या 42 से घटकर 29 रह जाएगी, जो आधुनिकीकरण की चुनौतियों को दर्शाता है। हालांकि, 97 तेजस मार्क-1ए विमानों के लिए 62,370 करोड़ रुपये का हालिया अनुबंध मिग-21 के स्थान को भरने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

मिग-21 के रिटायर होने के बाद इसके कुछ हिस्सों को इंजीनियरिंग कॉलेजों और संग्रहालयों में भेजा जाएगा। चंडीगढ़, दिल्ली, बेंगलुरु, और कोलकाता जैसे स्थानों पर पहले से ही मिग-21 प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं।

मिग-21 की विदाई भारतीय वायुसेना के लिए एक युग का अंत है। 1965 और 1971 के युद्धों से लेकर 2019 के बालाकोट हमले तक, इस विमान ने भारत की हवाई ताकत को परिभाषित किया। हालांकि, इसके दुर्घटना रिकॉर्ड ने इसे विवादों में भी रखा। अब, तेजस जैसे स्वदेशी विमानों के साथ IAF एक नए युग की ओर बढ़ रही है। 26 सितंबर को चंडीगढ़ में मिग-21 की अंतिम उड़ान न केवल इसके गौरवशाली इतिहास को सलाम करेगी, बल्कि भारतीय वायुसेना की आधुनिकीकरण की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करेगी।

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