“मास्टर ऑफ रोस्टर थ्योरी” को लेकर SC के जजों में मतभेद, चेलमेश्वर ने सुनवाई से किया इनकार

नई दिल्ली। देश उस दिन को भला कैसे भूल सकता है, जब हिंदुस्तान की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायधीश जे चेलमेश्वर, कुरियन जोसफ, रंजन गोगोई और मदन लोकुर जनता के सामने आकर अपने दर्द को बयां किया था। जिसमें उन्होंने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर मनमाना व्यवहार करने तथा न्यायिक प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप लगया था।

चेलमेश्वर

ऐसे में एक बार फिर न्यायधीशों के बीच में मनमुटाव का मामला सामने आया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ के मुद्दे पर दायर की गई शांति भूषण के द्वारा याचिका पर जस्टिस चेलमेश्वर ने सुनवाई करने से मना कर दिया है।

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जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि वह नहीं चाहते हैं कि 24 घंटे के अंदर ही उनका आदेश उल्टा हो जाए। मैं दो महीने बाद ही रिटायर हो रहा हूं। आगे देश खुद ही फैसला कर लेगा।

वहीं आज सुबह ही जस्टिस कुरियन जोसेफ ने CJI को एक चिट्ठी लिखते हुए कहा कि सु‍प्रीम कोर्ट का अस्तित्व खतरे में है यदि जजों की नियुक्ति के मामले में सरकार की चुप्पी पर कोर्ट कुछ नहीं करता है तो इतिहास हमें कभी माफ़ नहीं करेगा।

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मास्टर ऑफ रोस्टर थ्योरी

नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट के कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच (संवैधानिक पीठ) ने अपने एक अहम फैसले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को ‘मास्टर ऑफ द रोस्टर’ बताया। ‘मास्टर ऑफ रोस्टर थ्योरी’ के तहत चीफ जस्टिस को अधिकार है कि वह जजों के बीच केसों का आवंटन करे।

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