जानिए, आखिर शादी से पहले लड़कियां क्यों करती हैं ये विशेष पूजा

शादी की शहनाईइस महीने के साथ ही घरों में शादी की शहनाई बजना शुरू हो गई है। शादी का हिस्सा सिर्फ मस्ती और मजाक ही नहीं बल्कि ढेरों रस्‍में भी होती हैं। शादी जिंदगी का वो अहम पल होता है जो जीवनभर के लिए यादगार बन जाता है।

शादी को सिर्फ वो एक दिन यादगार नहीं बनाता जब सात फेरे लिए जाते हैं बल्कि वो रस्‍में भी यादगार होती हैं जो शादी से पहले निभाई जाती हैं। शादि से पहले हल्‍दी, मेहंदी और तेल पूजन के अलावा कई रस्में जरूरी होती हैं। उनमें से एक गौरी पूजा भी है।

गौरी पूजा का महत्त्व सीता जी के समय से चला आ रहा है। माता सीता ने पहली बार भगवान राम को देखा था तब उन्होंने मन ही मन राम जी को पसंद कर लिया था। उसके बाद सीता जी ने माता गौरी की पूजा कर भगवान राम को पति स्वरुप मांगा। सीता जी की अनोखी पूजा से माता गौरी प्रसन्न हुयी और उन्होंने सीता जी की मनोकामना पूरी की।

गौरी व्रत रहने से लड़कियों की अच्छी शादी होती है और उन्हें मनचाहा जीवन साथी भी मिलता है। इस व्रत में पार्वती की पूजा आराधना करने से लड़कियों को शिव जैसे भोले, पत्नीव्रता पति मिलते है। हिन्दू मान्यता के अनुसार शिव सबसे अच्छे पति माने जाते है। इसलिए विवाह से पहले हर लड़की अपने कुशल जीवन के लिए माता गौरी की पूजा अर्चना करती है।

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गौरी पूजन की विधि :

हिन्दू धर्म में गौरी पुत्र गणेश को सबसे पहले पूजा जाता है। इसलिए गौरी पूजन में भी सबसे पहले गणेश जी को तिलक लगाकर पूजा शुरू की जाती है। इसके बाद गणेश जी कि वंदना कर लड्डू का भोग लगाया जाता है। ऐसा इसलिए क्यूंकि गणेश भगवान को लड्डू सबसे ज्यादा प्रिय हैं।

इसके बाद माता गौरी के पूजा के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, कलश में जल , दूध , माता को चढ़ाए जाने वाले कपडे और गहने की भेंट चढ़ाई जाती है। इसके अलावा चावल, कुमकुम, धूपबत्ती और गुलाब का फूल भी माता गौरी को अर्पित करें। प्रसाद के लिए फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, इस सब से माता गौरी (पार्वती) का पूजन और गौरी स्तुति करें।

अगर इस तरह विधिवत पूजा करेंगे तो माता गौरी प्रसन्न हो और आपको आने वाले वैवाहिक जीवन के लिए आर्शीवाद अवश्य देंगी।

 

 

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