MannKiBaat: पीएम मोदी ने पहले से ज्यादा इबादत करने को कहा, ईद आने से पहले हों कोरोना मुक्त…

हर महीने के आखिरी रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों को संबोधित करते हैं. इस बार उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में देश का हर नागरिक सिपाही है। उन्होंने देशवासियों को अक्षय तृतीया, रमजान की बधाई दी। उन्होंने लोगों से दो गज दूरी का पालन करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार रमजान में पहले से ज्यादा इबादत करें ताकि ईद आने से पहले दुनिया कोरोना वायरस से मुक्त हो जाए.

मोदी

 

 

याद रखिये, हमारे पूर्वजों ने कहा है- ‘अग्नि: शेषम् ऋण: शेषम्, व्याधि: शेषम् तथैवच। पुनः पुनः प्रवर्धेत, तस्मात् शेषम् न कारयेत।। हल्के में लेकर छोड़ दी गई आग, कर्ज और बीमारी, मौका पाते ही दोबारा बढ़कर खतरनाक हो जाती हैं। दो गज की दूरी, बहुत है जरूरी। अगली मन की बात के समय जब मिलें तब, इस वैश्विक-महामारी से कुछ मुक्ति की खबरें दुनिया भर से आएं, मानव-जाति इन मुसीबतों से बाहर आए– इसी प्रार्थना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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लोगों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन किया
पिछले दिनों ही हमारे यहां बिहू, बैसाखी, पुथंडू, विशू, ओड़िया न्यू ईयर ऐसे अनेक त्योहार आए। हमने देखा कि लोगों ने कैसे इन त्योहारों को घर में रहकर, सादगी के साथ मनाया। लॉकडाउन के नियमों का पालन किया। इस बार हमारे ईसाई दोस्तों ने ईस्टर भी घर पर ही मनाया है। इस वैश्विक-महामारी, कोविड-19 के संकट के बीच आपके परिवार के एक सदस्य के नाते, और आप सब भी मेरे ही परिवार-जन हैं, तब कुछ संकेत करना, कुछ सुझाव देना, यह मेरा दायित्व भी बनता है।

रमजान को बनाएं सेवा भाव का प्रतीक
रमजान का भी पवित्र महीना शुरू हो चुका है। अब अवसर है इस रमजान को संयम, सद्भावना, संवेदनशीलता और सेवा-भाव का प्रतीक बनाएं। इस बार हम, पहले से ज्यादा इबादत करें ताकि ईद आने से पहले दुनिया कोरोना से मुक्त हो जाए। मुझे विश्वास है कि रमजान के इन दिनों में स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना के खिलाफ चल रही इस लड़ाई को हम और मजबूत करेंगे।

थूकने की आदत छोड़ देनी चाहिए
हमारे समाज में एक और बड़ी जागरूकता ये आई है कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के क्या नुकसान हो सकते हैं। अब, ये थूकने की आदत छोड़ देनी चाहिए। ये बातें जहां बेसिक हाइजीन का स्तर बढ़ाएंगी, वहीं, कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में भी मदद करेगी। ये सुखद संयोग ही है, कि, आज जब आपसे मैं मन की बात कर रहा हूं तो अक्षय तृतीया का पवित्र पर्व भी है साथियो, ‘क्षय’ का अर्थ होता है विनाश लेकिन जो कभी नष्ट नहीं हो, जो कभी समाप्त नहीं हो वो ‘अक्षय’।

हमें सकारात्मकता को नकारात्मकता में नहीं रंगना है
जिस तरह से हर मदद के लिए पुलिस सामने आ रही है इससे पुलिसिंग का मानवीय और संवेदनशील पक्ष हमारे सामने उभरकर के आया है। हमारे पुलिसकर्मियों ने, इसे जनता की सेवा के एक अवसर के रूप में लिया है। हम सबने इस सकारात्मकता को कभी भी नकारात्मकता के रंग से रंगना नहीं है। प्रकृति, विकृति और संस्कृति, इन शब्दों को एक साथ देखें और इसके पीछे के भाव को देखें तो आपको जीवन को समझने का भी एक नया द्वार खुलता हुआ दिखेगा। ‘ये मेरा है’, ‘मैं इसका उपयोग करता हूं’ बहुत स्वाभाविक माना जाता है। इसे हम ‘प्रकृति’ कह सकते हैं।

सरकार ने सामाजिक संस्थाओं को जोड़ा
सरकार ने http://covidwarriors.gov.in के माध्यम से सामाजिक संस्थाओं के स्वयंसेवी, नागरिक समाज के प्रतिनिधि और स्थानीय प्रशासन को एक-दूसरे से जोड़ दिया है। इनमें डॉक्टरr, नर्सिज, आशा, एएनएम, एनसीसी, एनएसएस, व अन्य प्रोफेशनल्स हैं जो क्राइसिस मैनेजमेंट प्लान बनाने मदद कर रहें हैं। साथियो, हर मुश्किल हालात, हर लड़ाई, कुछ-न-कुछ सबक देती है, कुछ-न-कुछ सिखा करके जाती है, सीख देती है। कुछ संभावनाओं के मार्ग बनाती है और कुछ नई मंजिलों की दिशा भी देती है।

 

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