मणिपुर हिंसा: राज्यपाल के अल्टीमेटम के बाद 5 जिलों में 42 हथियार सरेंडर; 6 मार्च की समय सीमा से पहले अब तक इतने हथियार जमा

उल्लेखनीय है कि मई 2023 में मैतेई और कुकी समूहों के बीच जातीय हिंसा भड़क उठी थी। 22 महीने तक चली हिंसा में 250 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई और हज़ारों लोग विस्थापित हो गए। पिछले महीने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और 13 फ़रवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।

राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर में हालात कुछ सुधरने लगे हैं। एक बड़ी घटना में राज्यपाल की सख्त चेतावनी के बाद मणिपुर के पांच जिलों के लोगों ने 42 हथियार और गोला-बारूद सरेंडर कर दिए। जागरण डॉट कॉम के हवाले से एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये हथियार इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, चूड़ाचांदपुर, बिष्णुपुर और तामेंगलोंग जिलों में सौंपे गए। इसके अलावा सुरक्षा बलों ने दो स्थानों पर पांच अवैध बंकरों को ध्वस्त कर दिया है।

बिष्णुपुर जिले में दो पिस्तौल, छह ग्रेनेड और 75 से अधिक राउंड गोला-बारूद सहित पांच आग्नेयास्त्रों को सरेंडर किया गया। तामेंगलोंग जिले में कैमाई पुलिस स्टेशन में 17 देशी बंदूकें, नौ पंप-एक्शन बंदूकें और गोला-बारूद सरेंडर किया गया। पुलिस अधिकारी के अनुसार, यिंगंगपोकपी, पोरोमपत, चुराचांदपुर और लामसांग पुलिस स्टेशनों में 10 आग्नेयास्त्र और गोला-बारूद भी सरेंडर किए गए।

सुरक्षा बलों ने कांगपोकपी जिले के मार्क हिल में दो अवैध बंकरों तथा वाकन हिल रेंज में तीन अन्य अवैध बंकरों को नष्ट कर दिया।

इंफाल पश्चिम जिले के सेरेमखुल में तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने 20 राउंड गोला-बारूद से भरी एक मैगजीन, एक इंसास एलएमजी, एक एके-56 राइफल, तीन एसएलआर राइफल, एक एसएमजी 9 एमएम कार्बाइन, एक .303 राइफल, एक डीबीबीएल बंदूक, बिना डेटोनेटर के चार ग्रेनेड, एक चीनी हैंड ग्रेनेड और अन्य सामान जब्त किया।

20 फरवरी को मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने हिंसा में शामिल समूहों को सात दिनों के भीतर लूटे गए और अन्य अवैध हथियार सौंपने की अंतिम चेतावनी दी। इसके बाद, इंफाल घाटी और पहाड़ियों के लोगों ने और समय मांगा और राज्यपाल ने समय सीमा बढ़ाकर 6 मार्च कर दी। पहले सात दिनों के भीतर घाटी के जिलों में लोगों ने 300 से ज़्यादा आग्नेयास्त्र सौंपे।

उल्लेखनीय है कि मई 2023 में मैतेई और कुकी समूहों के बीच जातीय हिंसा भड़क उठी थी। 22 महीने तक चली हिंसा में 250 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई और हज़ारों लोग विस्थापित हो गए। पिछले महीने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और 13 फ़रवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।

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